3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन
3. कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन
कोपेन और थार्न्थवेट के जलवायु वर्गीकरण का तुलनात्मक अध्ययन ⇒
समानताएँ :-
(i) दोनों योजनाएँ अनुभवात्मक परीक्षण पर आधारित है।
(ii) दोनों ने तापमान और वर्षा को वायुमंडल की मूलभूत तत्व माना है जो जलवायु को नियंत्रित करती है।
(iii) दोनों ने जलवायु-वनस्पति संबंध को महत्व दिया है।
(iv) दोनों ने जलवायु प्रदेश को दिखाने के लिए अंग्रेजी अक्षर का प्रयोग किया है।
(v) दोनों वर्गीकरण में उष्ण क्षेत्र की सीमाएँ समान होती हैं।
(vi) दोनों ने वर्गीकरण को कई बार प्रस्तुत किया।
जैसे- कोपेन ने 1900, 1918, 1931, 1936, 1953 में
थार्न्थवेट ने 1931, 1936, 1948, 1955 में
विषमताएँ :-
(i) कोपेन ने वनस्पति को जलवायु का समग्र रूप से व्यक्त करने वाला प्रत्यक्ष सूचक माना। यही कारण है कि कोपेन के वर्गीकरण में जलवायु प्रकारों की सीमाएँ एवं वनस्पति प्रकारों की सीमाएँ लगभग एक है। वहीं थार्न्थवेट ने वाष्पीकरण-वाष्पोत्सर्जन प्रभाविता को प्रत्यक्ष और वनस्पति को अप्रत्यक्ष रूप से वर्गीकरण का आधार माना।
(ii) कोपेन ने जहाँ किसी स्थान के तापमान और वर्षा के आंकिक मानों को लेकर वहाँ के जलवायु का निर्धारण किया है: वहीं थार्न्थवेट ने जटिल सूत्रों के माध्यम से वर्षा प्रभाविता तथा तापीय दक्षता का मान निकालकर किसी स्थान की जलवायु का निर्धारण किया।
(ii) जहाँ कोपेन ने मुख्य 6 जलवायु समूह को निर्धारित किया है, वहीं थार्न्थवेट ने 8 जलवायु समूह का निर्धारण किया है-
जैसे- कोपेन थार्न्थवेट
1. उष्ण 1. अति आर्द्र
2. उपोषण 2. आर्द्र
3. मध्य तापीय 3. तर आर्द्र
4. सूक्ष्म तापीय 4. शुष्क उपार्द्र
5. ध्रुवीय 5. अर्द्ध शुष्क
6. पर्वतीय 6. शुष्क
7. उप ध्रुवीय
8. ध्रुवीय
(iv) कोपेन ने जहाँ जलवायु पर ऊँचाई के कारण पड़ने वाले प्रभाव को महत्व देते हुए उच्च भूमि की जलवायु को एक समूह माना वहीं थार्न्थवेट ने इस पर ध्यान नहीं दिया है।
(v) थार्न्थवेट ने एक मॉडल दिया जो कि उनके योजना द्वारा जलवायु प्रकारों में वर्गीकृत कर की गई। कोपेन ने ऐसा कोई मॉडल नहीं दिया।
(vi) कोपेन ने शुष्क क्षेत्र और शुष्क ध्रुवीय क्षेत्रों में स्पष्ट अंतर किया लेकिन थार्न्थवेट ने ऐसा नहीं किया लोकेन 1955 में इन्होंने भी इस कमी को दूर किया।
(vii) कोपेन 1936 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "टैण्डबुक डर क्लाइमेटोलॉजी" के माध्यम से अपना वर्गीकरण प्रस्तुत किया जबकि थार्न्थवेट एक अनुसंधान प्रपत्र के में अपनी योजना 1948 में "ज्योग्राफिकल रिव्यू" नामक पत्रिका में "एन एप्रोच टोवार्डस ए रेशनल क्लासीफिकेशन ऑफ क्लाइमेंट" में प्रस्तुत किया।
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