Volcanic Landforms /ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित स्थलाकृति
ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित स्थलाकृति
1. केंद्रीय विस्फोटक द्वारा निर्मित स्थलाकृति,बाह्य स्थलाकृति
I. सिंडर शंकु :- ये प्रायः ज्वालामुखी धूल तथा राख से निर्मित होते है तथा कम ऊँचाई के होते है । जैसे – मेक्सिको का जोरल्लो, फिलीपाइन का कैमिग्विन इत्यादि।
IV. एसिड लावा शंकु :- अधिक सिलिकायुक्त गाढ़ा एवं चिपचिपा लावा के उदगार से यह शंकु निर्मित होता है। इसकी ढाल तीव्र होती है।
V. पैठिक लावा शंकु :- कम सिलिका युक्त पतले लावा से इस शंकु का निर्माण होता है। यह कम ऊँचा शंकु होता है।
VI. क्रैटर :- ज्वालामुखी के छिद्र के ऊपर स्थित किपाकार गर्त को क्रैटर कहते है। चारों तरफ इसकी ढाल तीव्र होती है।
VII. काल्डेरा :- एक बड़े क्रैटर को काल्डेरा कहते है ।
2. दरारी उद्गार द्वारा निर्मित स्थलाकृति
I. लावा पठार :- दरारी उद्गार से निकले बेसाल्ट लावा के जमा होने से निर्मित पठार लावा पठार कहलाता है । जैसे- दक्कन पठार, कोलम्बिया पठार
II. लावा मैदान :- लावा के पतली थ के रूप में जमा होने से इसका निर्माण होता है। जो फ्रांस, न्यूजीलैंड, आइसलैंड आदि देशों में मिलते है।
अभ्यान्तरिक स्थलाकृति
ज्वालामुखी क्रिया द्वारा उत्पन्न स्थरूपों का प्रदर्शन
अभ्यान्तरिक स्थलाकृति के अंतर्गत बैथोलिथ, लैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, सिल, डाइक, स्टॉक इत्यादि स्थरूपों का निर्माण भुपटल के सतह के नीचे होता है जो अपरदन द्वारा दृश्य हो पाते है।
अन्य स्थलाकृति
गेसर :- यह एक गर्म जल का स्रोत है जिससे समय-समय पर गर्मजल या वाष्प निकला करती है।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि अंतर्जात बल द्वारा विभिन्न प्रकार के स्थलाकृतियों का निर्माण होता है।
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