Internal Structure of The Earth/पृथ्वी की आंतरिक संरचना

 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

(Internal Structure of The Earth)



                                          पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने हेतु अप्रत्यक्ष साधनों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यही कारण है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बंध में अधिकतर ज्ञान अनुमान पर आधारित है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना को समझने में भूकम्पीय विज्ञान(Seimology) या भूकम्पीय तरंग को सबसे सटीक वैज्ञानिक साधन माना जाता है । पृथ्वी के आंतरिक संरचना के अध्ययन से ज्ञात होता है कि पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 है। पृथ्वी के धरातल से केंद्र की ओर जाने पर घनत्व में लगातार बढ़ोतरी होते जाती है क्योंकि ऊपर से नीचे जाने पर चट्टान के दबाव एवम भार में बढ़ोतरी होते जाती है।

★ सामान्य नियम के अनुसार दाब बढ़ने से तापमान में बढ़ोतरी होती है। अतः प्रत्येक 32मी० की गहराई पर 1℃  तापमान में बढ़ोतरी होती है।

               स्वेस महोदय ने पहली बार पृथ्वी की रासायनिक संरचना का अध्ययन किया । उन्होंने बताया कि रासायनिक संरचना के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक भागों को तीन परतों में बाँटा जा  सकता है।

1) सियाल (SIAL) 

पृथ्वी का सबसे ऊपरी परत सिलिकन & अलुमिनियम से निर्मित है।

2) सिमा(SIMA)

स्वेस ने मध्यवर्ती परत को सिमा से संबोधित किया है और उन्होंने बताया कि सिमा सिलिकन&मैग्नेशियम से बना है।

3) निफे(NIFE)

पृथ्वी के सबसे आंतरिक भाग को निफे से संबोधित किया है और बताया कि यह निकेल & लोहा से बना है।

             भूकम्पीय साक्ष्यों के आधार पर पृथ्वी की आंतरिक संरचना का सबसे अधिक वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है। जिसके अनुसार पृथ्वी को तीन परतों में बाँटा गया है –

1. भूपर्पटी (Crust)

2. भूप्रावर (Mantle)

3. क्रोड (Core)

(1.) भूपर्पटी (Crust) :- यह पृथ्वी का सबसे ऊपरी एवं पतली परत है। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% और कुल द्रवमान का 0.2% Crust में शामिल है। इसकी औसत मोटाई 33 किमी० है। महाद्वीपों पर इसकी अधिकतम मोटाई 70 किमी० तक और महासागरीय क्षेत्र में औसत मोटाई 5 किमी० है। इसमें परतदार चट्टानों की प्रधानता होती है। लेकिन महाद्वीपीय भागों में परतदार चट्टानों के नीचे ग्रेनाइट चट्टान की परत मिलती है जबकि महासागरीय भूपटल पर बैसाल्ट चट्टाने मिलती है।

★भूपर्पटी की रासायनिक संरचना से स्पष्ट होता है कि इसमें सर्वाधिक ऑक्सीजन(46.80%),सिलिकन(27.72) अल्युमीनियम(8.13%) पायी जाती है। यह पृथ्वी का वह मण्डल है जिसमें प्राथमिक तरंग, द्वितीयक तरंग, सतही तरंग, P*, S*, Pg & Sg जैसे भूकम्पीय तरंग चला करते है।

               भूपर्पटी भी दो भागों में विभक्त है :- 

1. महासागरीय भूपटल

2. महाद्वीपीय भूपटल

              महाद्वीपीय भूपटल का घनत्व कम(2.75) है जबकि महासागरीय भूपटल का घनत्व अधिक(3.75) है। यही कारण है कि महाद्वीपीय भूपटल फुला/खुला हुआ है जबकि महासागरीय भूपटल धँसा हुआ है। महाद्वीपीय भूपटल में भी अलग-अलग घनत्व की चट्टाने पायी जाती है। जैसे :- पर्वतीय चट्टानों के घनत्व सबसे कम होता है। इससे अधिक घनत्व पठारों का और पठारों से ज्यादा घनत्व मैदानी चट्टानों में होता है।

(2.)भुप्रावार(Mantle) :- भूप्रावार की मोटाई मोहो असम्बद्धता से 2900 KM तक है । पृथ्वी के कुल आयतन का 83% और कुल द्रव्यमान का 68% भाग भूप्रावार में शामिल है । यह अधिक तापमान के कारण पिघली हुई अवस्था (द्रव) के समान है । भूप्रावार पृथ्वी का वह मण्डल है जिसमें प्राथमिक तरंग  तो संचरित होती है लेकिन द्वितीयक तरंग विलुप्त हो जाती है । इसका निर्माण सिलिकन & मैग्नेशियम जैसे तत्वों से हुआ है । भूप्रावार का घनत्व 3 से 5.5 तक मानी जाती है । 

★ भूपर्पटी और भूप्रावार के बीच एक संक्रमण पेटी पायी जाती है जिसे मोहोअसम्बद्धता (Moho Discontinuty) कहते है।

★क्रस्ट और मेंटल के ऊपरी भाग को मिलाकर स्थलमण्डल/लिथोस्फेयर कहा जाता है।

★स्थलमण्डल के नीचे वाले मण्डल को दुर्बलमण्डल (Aestheno Sphere) कहते है । होम्स ने बताया कि दुर्बलमण्डल में ही संवहन तरंगे चलती है । ये तरंगे इतनी शक्तिशाली होती है जो स्थलमण्डल को तोड़ने एवं मोड़ने की क्षमता रखती है।

(3.) क्रोड(Core)/अंतरतम :-   यह पृथ्वी का केंद्रीय भाग है। इसका घनत्व -10 से 13.6 g/cm3 है। पृथ्वी के कुल आयतन का 16% एवं द्रव्यमान का 32% भाग क्रोड में शामिल है। क्रोड पृथ्वी का वह मण्डल है जसमें केवल प्राथमिक तरंगे गुजरती है। यह मण्डल निकेल & लोहा से निर्मित है । इसी कारण से पृथ्वी में चुम्बकीय गुण है । क्रोड अत्याधिक दबाव के कारण ठोस भाग के रूप में परिणत हो चुका है। क्रोड की औसत मोटाई 3471 KM है। Mantle और Core के बीच में एक संक्रमण पेटी पायी जाती है जिसे गुटेनबर्ग असम्बद्धता कहते हैं। पृथ्वी की आंतरिक संरचना को नीचे के चित्रों में भी देखा जा सकता है।

 निष्कर्ष :-

                 इस तरह उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संबंध में भूकम्पीय तरंग सबसे अधिक वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

Read More :

Origin Of The Earth/पृथ्वी की  उत्पति

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