हिन्द महासागर की जलधारा / Indian Ocean Currents
हिन्द महासागर की जलधारा
हिन्द महासागर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी महासागर है। यह एकमात्र ऐसा महासागर है जो आर्कटिक महासागर से नहीं जुड़ा हुआ है। पूरब में प्रशांत महासागर और पश्चिम में अटलांटिक महासागर से जुड़ा हुआ है। हिंद महासागर के पूर्व में आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और मलाया प्रायद्वीप है। उत्तरी भाग में एशिया, पश्चिम में अफ्रीका और दक्षिण में अंटार्कटिका महाद्वीप स्थित है। विषुवत रेखा इस महासागर को दो भागों में बांटती है - (i) उत्तरी हिंद महासागर और (ii) दक्षिणी हिंद महासागर। दक्षिणी हिंद महासागर एक पूर्ण महासागर है। इसमें समुद्री जल धाराएं सामान्य नियमों के अनुरूप प्रवाहित होती है जबकि उत्तरी हिंद महासागर की जलधाराएं ऋतु के अनुरूप अपना मार्ग परिवर्तित करती है। उत्तरी हिंद महासागर की जलधाराएं मुख्यतः तीन कारकों से प्रभावित होती है - (i) मानसूनी जलवायु (ii) तटीय आकृति (iii) उत्तर में महाद्वीपीय स्थिति के कारण उत्पन्न तापीय प्रभाव।
हिंद महासागर के जलधाराओं का अध्ययन मुख्यतः दो भागों में बांटकर करते हैं
(A) दक्षिणी हिंद महासागर की जलधारा
(B) उत्तर हिंद महासागर की जलधारा
(A) दक्षिणी हिंद महासागर की जलधारा -
दक्षिण हिन्द महासागर में पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण विषुवतीय क्षेत्रों में हिंद महासागरीय गर्म विषुवतीय जलधारा उत्पन्न होती है। यह जलधारा पूरब से पश्चिम दिशा की ओर चलते हुए पूर्वी अफ्रीकी तट से टकराती है। लेकिन मेडागास्कर द्वीप के कारण दो भागों में बँट जाती है।
प्रथम शाखा मोजांबिक और मेडागास्कर के बीच से गुजरती है जिसे मोजांबिक जलधारा कहते हैं। दूसरी शाखा मेडागास्कर के पूर्वी तट से गुजरती है जिसे मलागासी जलधारा कहते हैं। ये दोनों जलधारायें दक्षिण की ओर अग्रसारित होकर आपस में मिल जाती है और अगुलहास जलधारा को जन्म देती है। यह जलधारा दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट पर चलती है। यह जल आगे अग्रसारित होकर विश्व स्तरीय जलधारा पछुआ वायु प्रवाह (West Wind Drift) अंटार्कटिक प्रवाह से मिल जाती है। अंटार्कटिका प्रवाह पश्चिम से पूरब चलने की प्रवृति रखती है। इसकी उत्पत्ति अंटार्कटिका के हिमानी पिघलने से होती है। इसलिए इसकी प्रकृति ठंडी होती है। अंटार्कटिका प्रवाह का अधिकांश जल प्रशांत महासागर में प्रविष्ट कर जाता है लेकिन थोड़ा बहुत जल ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग से टकराकर दक्षिण से उत्तर की ओर चलने लगती है। यह एक ठंडी जलधारा है जिसे पश्चिमी आस्ट्रेलियन ठंडी जलधारा के नाम से जानते हैं और ये जलधारा अंततः विषुवतीय गर्म जलधारा से मिल जाती है इस तरह ये एक चक्र को पूरा करती है। इसे आगे के मानचित्र में भी देखा जा सकता है।
(B) उत्तरी हिंद महासागर की जलधारा -
उत्तरी हिंद महासागर एक अपूर्ण महासागर है। इसका नितल काफी छिछला है। हिंद महासागर में भारतीय प्रायद्वीप काफी अंदर तक घुसा हुआ है। आर्कटिक महासागर से नहीं जुड़े रहने के कारण इसमें ठंडी जलधाराएं नहीं पाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा महासागर है जिसमें जलधाराएं ऋतु के अनुरूप अपने दिशा में परिवर्तन लाती है। उतरी हिंद महासागर में समुद्री जल जुलाई माह में घड़ी की सुई की दिशा में चलती है। जबकि जनवरी महीने में उत्तरी पूर्वी मानसून या वाणिज्यिक हवा के प्रभाव में आकर घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में प्रवाहित होने लगती है। जुलाई के महीने में चलने वाली धारा को दक्षिण-पश्चिम मानसून प्रवाह और जनवरी के महीने में चलने वाली जलधारा को उत्तरी-पूर्वी मानसून प्रवाह कहते हैं।
विषुवतीय क्षेत्रों में पूर्वी अफ्रीका के तट पर विशाल जलराशि के जमाव के कारण विषुवतीय प्रति जलधारा का भी निर्माण होता है।
★ दक्षिण पश्चिम मानसून प्रवाह उत्तरी पूर्वी मानसून प्रवाह की तुलना में ठंडी होती है।
अटलांटिक महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF ATLANTIC OCEAN
हिंद महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF INDIAN OCEAN
प्रशांत महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF PACIFIC OCEAN
सागरीय जल का तापमान/Temperature of Oceanic Water
महासागरीय निक्षेप /Oceanic Deposits
हिन्द महासागर की जलधारा / Indian Ocean Currents
अटलांटिक महासागरीय जलधाराएँ /Atlantic Oceanic Currents
प्रवाल भित्ति/Coral Reaf/प्रवाल भित्ति के उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत
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