अटलांटिक महासागरीय जलधाराएँ /Atlantic Oceanic Currents
अटलांटिक महासागर की जलधारा
अटलांटिक महासागर पश्चिम में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका और पूर्व में यूरोप तथा फिर का कीमत 8.24 करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अवस्थित है। उत्तर में यह डेविस की खाड़ी, डेनमार्क जलडमरूमध्य तथा नार्वेजियन सागर द्वारा आर्कटिक सागर से जुड़ा हुआ है। अफ्रीका के दक्षिण में यह हिंद महासागर से मिला हुआ है। इसका आकार अंग्रेजी के S- अक्षर के समान है।अटलांटिक महासागर में मंद व तीव्र तथा उष्ण एवं शीतल सभी प्रकार के धाराएं प्रवाहित होती है। अटलांटिक महासागर की प्रमुख धाराएं निम्नलिखित है -
(A) उत्तरी अटलांटिक की जलधारा
1.उतरी अटलांटिक विषुवतीय गर्म जलधारा
2. कैरेबियन जलधारा
3. यूकाटन जलधारा
4. मैक्सिको जलधारा
5. गल्फ स्ट्रीम
6. उतरी अटलांटिक पछुआ प्रवाह
7. पूर्वी ग्रीनलैंड जलधारा
8. नार्वेजियन जलधारा
9. इरमिंजर जलधारा
10. लैबराडोर जलधारा
11. केनारी जलधारा
(B) दक्षिणी अटलांटिक की जलधारा
1. दक्षिणी अटलांटिक विषुवतीय गर्म जलधारा
2. ब्राजीलियन गर्म जलधारा
3. फॉकलैण्ड जलधारा
4. अंटार्कटिका पछुआ प्रवाह (विश्व मे)
5. वेंगुएला जलधारा
(A) उत्तरी अटलांटिक की जलधारा
(1) उत्तरी अटलांटिक विषुवतीय गर्म जलधारा - इसका विस्तार 0° से 10°N अक्षांश तक होता है। व्यापारिक हवा के कारण इस धारा की प्रवाह दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर है। यह अफ्रीका के तट को छोड़ने के बाद अपने गुणों को प्राप्त करती है। यह एक गर्म जलधारा है। मध्य अटलांटिक कटक को पार कर उत्तर पश्चिम की ओर मुड़कर दो शाखाओं में बँट जाती है। वेस्टइंडीज के पूर्व में "एंटीलीज जलधारा" और पश्चिम में "कैरेबियन जलधारा" कहलाता है। कैरेबियन जलधारा ही मैक्सिको की खाड़ी में प्रवेश करता है।
(2) फ्लोरिडा जलधारा - यह कैरेबियन जलधारा का अग्रभाग है जो यूकाटन चैनल से होती हुई मैं मैक्सिको की खाड़ी में प्रवेश करती है। मैक्सिको की खाड़ी अर्द्धचंद्राकार रूप में है। वुस्ट महोदय के अनुसार यह गर्म जलधारा औसतन 26 मिलियन घन मीटर/सेकंड वार्षिक जलराशि फ्लोरिडा जल डमरूमध्य से होकर अटलांटिक महासागर में लाती है। इस जलधारा का विस्तार 30°N अक्षांश तक रहता है। भूमध्यरेखा से मैक्सिको की खाड़ी तक इस धारा का तापक्रम 75° F तथा सतह की लवणता 36% रहती है। 30°N अक्षांश से आगे एंटीलिस जलधारा से मिल जाती है।
(3) गल्फ स्ट्रीम धारा - यह एक गर्म जलधारा है। इसकी खोज 1513 ई० में पास दि लियोन ने की थी। फ्लोरिडा की धारा का जहाँ अंत होता है वहाँ से यह धारा प्रारम्भ होती है। मैक्सिको की खाड़ी में जन्म लेने के कारण इसका नाम गल्फ स्ट्रीम पड़ा है। यह सेंटलॉरेन्स नदी के मुहाने तक निर्विध्न रूप से चलती है। 40°N अक्षांश के पास तक यह उत्तरी-पूर्वी दिशा में बहती है और इसके बाद एकदम पूर्व की ओर मुड़ जाती है। न्यूफाउंडलैंड तट के पास यह उत्तर की ओर से आने वाले लैब्रोडोर ठंडी जलधारा से मिलकर घना कोहरा उत्पन्न करती है। 45° W देशांतर के बाद गल्फस्ट्रीम कई शाखाओं में बँट जाती है। बिस्के की खाड़ी में बहने वाली धारा रेनेल धारा कहलाती है। यह इंग्लिश चैनल में भी प्रवेश करती है। एक शाखा नार्वे के तट से होकर बहती है जो नॉर्वेजियन जलधारा कहलाता है। आईसलैंड के दक्षिणी किनारे पर चलने वाली शाखा इरमिंजर जलधारा कहलाती है।
न्यूफाउंडलैंड के बाद गल्फस्ट्रीम धारा की दिशा व प्रवाह गति पर पछुआ पवनों का विशेष प्रभाव पड़ता है। पुनः 40° N अक्षांश पर इसकी दिशा पृथ्वी के विक्षेपक बल के कारण बदलती, 45°W अक्षांश के बाद गल्फस्ट्रीम ही उत्तरी अटलांटिक पछुआ प्रवाह जलधारा कहलाती है।
(4) लैब्रोडोर धारा - उत्तरी अटलांटिक महासागर में लैब्रोडोर तट के सहारे उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूरब की ओर चलने वाली जलधारा लैब्रोडोर जलधारा कहलाती है। यह एक ठंडी जलधारा है। यह उत्तरी ध्रुव महासागर का ठंडा जल खींचकर ले आती है। सेंट लारेंस नदी के मुहाने पर न्यूफाउलैंड द्वीप के समीप यह गल्फस्ट्रीम से मिल जाती है जिससे घना कोहरा बनता है।
(5) केनारी जलधारा - अफ्रीका के उत्तर-पश्चिम तट के सहारे के केनारी द्वीपों के पास से बहने वाली जलधारा केनारी जलधारा कहलाती है। यह धारा ठंडी है और उतर से दक्षिण दिशा में बहती है। वाणिज्य पवन इसे विशेष गति प्रदान करते हैं। यह धारा आगे चलकर उतरी विषुवतीय जलधारा में मिल जाती है। यह एक उपसतही जलधारा है।
(6) पूर्वी ग्रीनलैंड जलधारा - ग्रीनलैंड के पूर्व से भी एक ठंडी जलधारा दक्षिण की ओर चलती है जिसे पूर्वी ग्रीनलैंड जलधारा कहते हैं। यह उतरी अटलांटिक प्रवाह में मिल जाती है।
उत्तरी अटलांटिक महासागर के मध्य में जलधाराओं का एक वृत्त बन जाता है जिसकी प्रवाह दिशा घड़ी की सूईयों की गति की तरह होती है। इसके बीच का भाग स्थिर रहता है, जिसमें सारगैसो नामक समुद्री घास उग जाती है। जिसके कारण इसे सारगैसो सागर करते हैं। इसका विस्तार 20° से 35°N के बीच है। लेक के अनुसार दूसरे महासागरों में इस प्रकार की विशेषता नहीं पाई जाती है। मगर मारशक के अनुसार विश्व के महासागरों में ऐसे सागरों की संख्या 6 तक हो सकती है। इसके संबंध में अभी ज्ञान अधूरा है। अतः उनकी उचित खोज आवश्यक है।
(B) दक्षिणी अटलांटिक की धाराएँ :-
(1) दक्षिणी अटलांटिक विषुवतीय जलधारा - इस धारा का प्रवाह क्षेत्र 0° से 20°S अक्षांश के मध्य पश्चिमी अफ्रीकी तट से प्रारंभ होकर दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट पर जाकर सैनरॉक नामक टापू से टकराकर दो भागों में बँट जाती है। इसकी एक शाखा उतरी विषुवतीय धारा से तथा दूसरी शाखा ब्राजील तट के पास से दक्षिण की ओर गुजरती है जो ब्राजील गर्म जलधारा कहलाती है।
(2) विपरीत विषुवतीय जलधारा - इस धारा की दिशा उत्तरी तथा दक्षिणी विषुवतीय धारा के प्रतिकूल दिशा में होती है। यह पश्चिम से पूरब की ओर प्रवाहित होती है। यह एक गर्म एवं कम शक्तिशाली जलधारा है। यही धारा पुरब में गिनी खाड़ी में पहुंचकर गिनी गर्म धारा के रूप में प्रवाहित होती है।
(3) ब्राजील गर्म जलधारा - दक्षिण विषुवतीय धारा दक्षिण अमेरिकी के पूर्वी तट पर सैन रॉक अंतरीप से टकराकर दो भागों में विभक्त हो जाती है। एक शाखा तट के सहारे उत्तर की ओर चलती है जबकि दूसरी शाखा दक्षिण की ओर चलती है जो ब्राजील गर्म जलधारा कहलाता है। इसकी जल 40°S अक्षांश के निकट पहुंचकर फॉकलैंड की धारा से मिल जाती है।
(4) फाकलैंड की ठंडी जलधारा - दक्षिणी अटलांटिक में फाकलैंड द्वीप के पास अर्जेंटीना तट के सहारे दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। अंटार्कटिका ड्रिफ्ट का एक अंग होने के कारण यह एक ठंडी धारा है।
(5) दक्षिणी अटलांटिक ड्रिफ्ट या पछुआ प्रवाह - जब 40° अक्षांश के पास ब्राजील व फाकलैंड पछुआ पवनों के प्रभाव में आती है तो समुद्री धारा का प्रवाह पश्चिम से पूर्व की ओर होने लगता है। इसे पश्चिम वायु प्रवाह (West Wind Drift) भी कहते हैं। यह एक ठंडी जलधारा है। अंटार्कटिका महाद्वीप के तट के सहारे चलती है। यह 40° से 60°S अक्षांशों के मध्य बहती है।
(6) बेंगुएला जलधारा - पश्चिमी वायु प्रवाह का कुछ जल पृथ्वी की दैनिक गति के कारण थोड़ा-सा उत्तर की ओर मुड़ जाता है। यह धारा दक्षिण अफ्रीका के पश्चिमी तट से टकराकर उत्तर की ओर प्रवाहित होती है। यह एक ठंडी जलधारा है जो कालाहारी मरुस्थल के तट पर चलती है। उत्तर में यह दक्षिणी विषुवतीय जलधारा से मिल जाती है और अंततः चक्र को पूरा करता है।
अत: उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि उत्तरी एवं दक्षिणी अटलांटिक महासागर में अलग-अलग विशेषताओं से युक्त कई जलधाराएं मिलती है।
अटलांटिक महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF ATLANTIC OCEAN
हिंद महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF INDIAN OCEAN
प्रशांत महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF PACIFIC OCEAN
सागरीय जल का तापमान/Temperature of Oceanic Water
महासागरीय निक्षेप /Oceanic Deposits
हिन्द महासागर की जलधारा / Indian Ocean Currents
अटलांटिक महासागरीय जलधाराएँ /Atlantic Oceanic Currents
प्रवाल भित्ति/Coral Reaf/प्रवाल भित्ति के उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत
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