प्रशांत महासागर की जलधाराएँ/Currents of The Pacific Ocean
प्रशांत महासागर की धाराएँ अटलांटिक महासागर के धाराओं के समान बहती है। केवल थोड़ा बहुत परिवर्तन महासागर के विस्तार और स्वरूप के कारण आ जाता है। प्रशांत महासागर में निम्नलिखित धाराएँ चलती है -
(A) उत्तरी प्रशांत महासागर की जलधाराएँ
(i) उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा - इसका प्रारंभ उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका के मिलन स्थल पर पश्चिमी भाग से होती है। यहां से प्रारंभ होकर यह धारा संपूर्ण प्रशांत महासागर की 7500 मील की यात्रा करके फिलीपाइन द्वीप समूह के तट पर आकर टकराती है और उत्तर की ओर मुड़ जाती है। यह एक गर्म जलधारा है। यह पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है। यह संसार की सबसे लंबी जलधारा है।
(ii) क्यूरोशियो या जापान धारा - उतरी विषुवतीय प्रशांत जलधारा की ही अग्रभाग है जो दक्षिण से उत्तर की ओर चलती है। यह फिलीपींस से 35°N अक्षांश के बीच जापान के पूर्वी तट के सहारे चलती है। 40°अक्षांश के पास यह सीधे पूरब की ओर मुड़ जाती है और उत्तरी प्रशांत प्रवाह को जन्म देती है। लेकिन इसके पहले क्यूशू द्वीप से टकराकर इसकी दो शाखा हो जाती है। एक शाखा जापान सागर में "शुसीमा धारा" कहलाती है।
(iii) क्यूराइल या ओयाशिवो ठंडी जलधारा - यह एक ठंडी जलधारा है। उत्तरी आर्कटिक महासागर से चला हुआ जल बेरिंग जलडमरूमध्य से होकर दक्षिण की ओर प्रवाहित होता है जिसे ओयाशिवो जलधारा कहते हैं। होकैडो द्वीप के पास यह क्यूरोशियो जलधारा से मिल जाती है। इसे कमचटका धारा भी कहते हैं।
(iv) उत्तरी प्रशांत महासागरीय ड्रिफ्ट - उत्तरी अटलांटिक ड्रिफ्ट के समान ही प्रशांत महासागर में क्यूरोशियो धारा से टकराकर जब पछुआ पवनों के प्रभाव में आती है तो पूर्व की ओर मुड़ जाती है। तब इसकी गति मंद होती है। इसकी एक शाखा बेरिंग समुद्र में घुसकर अल्युशियन द्वीपों के उत्तरी भाग में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में घूमती है। यह एक ठंडी धारा के रूप में क्यूराइल से जाकर मिल जाती है। इसे अल्युशियन जलधारा भी कहते हैं। दूसरी शाखा अलास्का की खाड़ी में प्रवेश करके अलास्का धारा के नाम से जानी जाती है। यह गर्म जलधारा के रूप में बहती है जिसके कारण कनाडा के तटीय क्षेत्र में हिम को जमने नहीं देता है।
(v) कैलिफोर्निया जलधारा - यह एक उपसतही ठंडी जलधारा है जो उत्तर से दक्षिण की ओर कैलिफोर्निया की खाड़ी के तट के सहारे चलती है और उत्तरी विषुवतीय जलधारा से जाकर मिल जाती है।
(B) दक्षिणी प्रशांत महासागर की जलधारा
(i) दक्षिण विषुवतीय जलधारा - दक्षिण पश्चिम वाणिज्य पवन के कारण पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली जलधारा है। यह एक गर्म जलधारा है। मध्य प्रशांत महासागर में यह धारा अनेक द्वीपों की स्थिति के कारण विभाजित हो जाती है।
(ii) पूर्वी आस्ट्रेलियन धारा - जब दक्षिणी विषुवतीय प्रशांत जलधारा न्यूगिनी तट से टकराती है तो इसका अधिकांश जल दक्षिण की ओर मुड़कर आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के सहारे बहने लगती है। इसे ही पूर्वी ऑस्ट्रेलियन जलधारा कहते हैं। न्यूजीलैंड के निकट इसकी दो शाखाएं क्रमशः पश्चिम तथा पूरब से बहकर बहती है और पुनः मिल जाती है। 40°S अक्षांश के निकट यह पूर्व की ओर प्रवाहित होने लगती है और दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट तक चलती चली जाती है।
(iii) अंटार्कटिक प्रवाह - यह धारा अंटार्कटिका के चारों ओर चक्कर लगाती है। इसकी दिशा पश्चिम से पूरब की ओर है। यह एक ठंडी जलधारा है जो पछुआ पवनों के प्रवाह में रहती है। इसे पछुआ पवन प्रवाह जलधारा भी कहते हैं। अवरोध के अभाव में स्वतंत्र रूप से बहती है।
(iv) पेरू या हंबोल्ट की ठंडी जलधारा - पेरू के तट पर दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। यह अंटार्कटिका ड्रिफ्ट की एक शाखा है। इसकी खोज 1522 ई० में हुआ। 1802 में इसका नाम हंबोल्ट ने अपने नाम पर रखा। तट से इसका विस्तार 900 किलोमीटर दूर तक मिलता है। इसके कारण गैलपोगस द्वीप पर पेंग्विन पक्षी मिलते हैं।
(v) एलनीनो जलधारा - यह एक गर्म जलधारा है। यह फरवरी-मार्च में चलती है। 3°S से 33°S के बीच उत्पन्न होती है। एक मान्यता के अनुसार एलनीनो की उत्पत्ति जाड़े की ऋतु में धाराओं के दक्षिणी गोलार्ध में खिसकने के फलस्वरुप होती है। इसका तापमान सामान्य जल से 3℃ से 6℃ अधिक होता है।
(vi) विपरीत विषुवतीय जलधारा - विषुवत रेखा के सहारे पश्चिम से पूरब की ओर चलती है। यह एक गर्म जलधारा है। इसकी उत्पत्ति प्रशांत महासागर के पश्चिम में जल संचय से होता है।
अटलांटिक महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF ATLANTIC OCEAN
हिंद महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF INDIAN OCEAN
प्रशांत महासागर के तलीय उच्चावच/BOTTOM RELIEF OF PACIFIC OCEAN
सागरीय जल का तापमान/Temperature of Oceanic Water
महासागरीय निक्षेप /Oceanic Deposits
हिन्द महासागर की जलधारा / Indian Ocean Currents
अटलांटिक महासागरीय जलधाराएँ /Atlantic Oceanic Currents
प्रवाल भित्ति/Coral Reaf/प्रवाल भित्ति के उत्पत्ति से संबंधित सिद्धांत
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