5. Concept of nation and state (राष्ट्र एवं राज्य की संकल्पना)
राष्ट्र एवं राज्य राजनीतिक भूगोल का दो अलग -2 संकल्पनाएँ हैं। लेकिन कई तथ्यों के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि राष्ट्र एवं राज्य एकीकृत संकल्पनाएँ भी है। राष्ट्र और राज्य के बीच में भूगोलवेताओं ने निम्नलिखित अन्तर बताया है:-
(1) राज्य एक ऐसी संकल्पना है जिसके पास एक निश्चित भूभाग होता है, जिसकी सीमाएँ निर्धारित होती हैं। जबकि राष्ट्र एक ऐसी संकल्पना जिसके पास न अपना कोई भी भूभाग होता और न ही सीमा निर्धारित होती है। एक राष्ट्र से संबंधित लोग कई राज्यों में बिखरे होते हैं। जैसे-1948 ई० के पहले यहूदियों का कोई राज्य नहीं था। वे पश्चिमी यूरोपीय देश एवं मध्य एशिया के कई देशों में बिखरे हुए थे। अमेरिका की सहायता से फिलीस्तीन को विभाजित कर जब इजराइल रूपी राज्य का निर्माण किया गया तो यहूदियों को एक राज्य मिला।
इसी तरह भारत के सिख समाज एक राष्ट्र के रूप में संगठित है। लेकिन उनके पास अभी कोई राज्य नहीं है।
(2) राज्य के चार प्रमुख तत्व माने जाते - (i)भूभाग (ii) जनसंख्या (iii) सरकार और (iv) संप्रभुता। जबकि राष्ट्र के पास न कोई भूभाग होता है और न ही कोई संप्रभु सरकार होती है।
(3) राज्य के पास निश्चित संसाधन होते हैं और उस पर उसका कानूनी अधिकार होता है। जबकि राष्ट्र के पास कोई संसाधन नहीं होता है।
(4) राज्य एक समझौते के तहत विकसित होते हैं, जबकि राष्ट्र स्वतः विकसित होते हैं।
(5) राज्य के विकास के लिए एक निश्चित जनसंख्या आवश्यक है, जबकि राष्ट्र का विकास एक व्यक्ति से भी हो सकता है।
(6) एक राज्य एक पूर्णतः राजनैतिक संकल्पना है जबकि राष्ट्र भावनात्मक एवं सांस्कृतिक संकल्पना है।
एक राष्ट्र के लोग एक-दूसरे पर गर्भ महसूस करते हैं।
इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट होता है कि राष्ट्र एवं राज्य दोनों अलग-2 संकल्पनाएँ हैं। वर्तमान समय में अगर राष्ट्र आधारित राज्य का विकास किया जाता है तो वह सर्वोत्तम भूराजनैतिक संकल्पना मानी जाती है। राष्ट्र आधारित राज्य बनाने हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं।
राष्ट्र आधारित राज्य बनाने के उपाय :-
(i) औद्योगिकीकरण और नगरीकरण को बढ़ावा दिया जाए।
(2) पर्यटन, संचार माध्यम एवं परिवहन साधनों का विकास बड़े पैमाने पर किया जाय।
(3) सामाजिक संचार का विकास किया जाय।
(4) "हमसब एक हैं।" की भावना का प्रचार-प्रसार किया जाय।
(5) आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक अंतर-निर्भरता को बढ़ायी जाय।
(6) शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाय।
(7) अन्तरजातीय और अन्तरधार्मिक विवाह का प्रचलन बढ़ाया जाय।
(8) साम्प्रदायिक संगठनों को समाप्त कर दिया जाय।
(9) प्राचीन एवं विवादग्रस्त धार्मिक स्थलों को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर दिया जाय।
(10) एकल सरकार, एकल संविधान, समान नागरिक संहिता, विधि का कानून लागू किया जाय।
समस्याएँ
राष्ट्र आधारित राज्य के विकास के दिशा में कई समस्याएँ अवरोधक के रूप में कार्य करती हैं। जैसे-
(i) जातिवाद
(ii) प्रजातिवाद
(iii) सम्प्रदायवाद
(iv) रंगभेद
(v) भाषाई विविधता
(vi) सांस्कृतिक विविधता
(v) विदेशी घुसपैठ
(vi) गरीबी एवं बेरोजगारी
(vii) निरक्षरता एवं चेतना का अभाव
(viii) क्षेत्रवाद
(ix) आतंकवाद
विशेषताएँ
राष्ट्र आधारित राज्य का निर्माण करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी निम्नलिखित विशेषताएँ होती है:-
(i) यह धीमी गति से चलने वाली प्रक्रिया है।
(ii) इसका विकास राजनीतिक चेतनाओं द्वारा किया जा सकता है। इसमें समाज के नेताओं की भूमिका अधिक होती है।
(iii) इसे सुनियोजित तरीके से विकसित किया जा सकता है।
(iv) इसमें भौगोलिक एवं ऐतिहासिक घटनाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
(v) सामाजिक सुरक्षा, विकास की संभावना. पारस्पारिक निर्भरता इत्यादि इस प्रक्रिया को समुचित तरीके से आगे बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
इस तरह उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि राष्ट्र एवं राज्य दो अलग-2 संकल्पा होने के बावजूद एक-दुसरे से अन्तरसंबंधित है। वर्तमान समय में प्रत्येक राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में संलग्न है। राजनीतिक भूगोल में यह संकल्पना व्यक्त की जा रही है कि सभी राष्ट्र आपस में मिलकर विश्वगृह्यता (Cosmopolitant) के रूप में विकसित हो रहे हैं।
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