3. Classification of International Border (अंतर्राष्ट्रीय सीमा का वर्गीकरण)

3. Classification of International Border

(अंतर्राष्ट्रीय सीमा का वर्गीकरण)

परिचय 

               सीमा दो राज्य या दो राष्ट्र या दो प्रशासनिक एवं राजनीतिक क्षेत्र को विभाजित करने वाली भू-राजनैतिक संकल्पना है। इसे रेखीय संकल्पना भी कहते हैं। सीमा प्रतिकूल एवं अनुकूल दोनों क्षेत्रों से गुजरती है। सीमा रेखा पर अभिसारी शक्तियाँ कार्य करती है। यहाँ जनसंख्या एवं संसाधन का अभाव होता है। सीमा दो राज्यों के बीच विभाजक का कार्य करती है। सीमा शांत और अशान्त दोनों प्रकार के हो सकती है। जैसे- भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा अशान्त सीमा का उदा० है। जबकि USA और कनाडा की सीमा शान्त सीमा का उदा० है।
                    सीमा का वर्गीकरण दो आधार पर किया जाता है:-

(1) उत्पत्ति के आधार पर या जनन विभाजन

(2) आकारिकी विभाजन                        

(1) उत्पत्ति के आधार या जनन विभाजन के आधार पर सीमा का कारिकी वर्गीकरण :-                 

                          उत्पत्ति के आधार पर सीमा चार प्रकार के होते हैं- जैसे -

(i) पूर्ववर्ती सीमा ⇒ इसकी तुलना पूर्ववर्ती नदी से की जाती है। वैसी नदी को पूर्ववर्ती नदी कहते हैं जो स्थलाकृतिक उत्थान के पूर्व से ही मौजूद हो। इसी तरह से जिन राष्ट्रों के बीच सीमा पुरानी हो और सीमा के दोनों ओर अलग-2 संस्कृति का विकास हुआ हो। वैसी सीमा को पूर्ववर्ती सीमा कहते हैं। जैसे- USA और कनाडा के बीच स्थित सीमा रेखा।
(ii) परवर्ती सीमा ⇒ ऐसी सीमा की तुलना परवर्ती नदी से करते हैं अर्थात् भौगोलिक क्षेत्र के उत्थान के बाद ढाल के अनुरूप विकसित नदी को परवर्ती नदी कहते हैं। परवर्ती सीमा में इसी तरह से संस्कृति का विकास पहले होता और सीमा का विकास बाद में होता है। जैसे- भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित सीमा रेखा।
(iii) अवशिष्ट सीमा ⇒ इसकी तुलना अवशिष्ट पर्वत से की जा सकती है। वैसे पर्वत जो कभी विश्व के सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला थी जो बाद में अपरदन के कारण अवशिष्ट पर्वत के रूप में बदल चुकी है। इसी तरह अशिष्ट सीमा वह है जो कभी दो राष्ट्रों के बीच में सीमा का कार्य विभाजन का कार्य करती थी लेकिन अब अपनी पहचान खो चुकी है। जैसे- चीन और तिब्बत के बीच स्थित सीमा।
(iv) अध्यारोपित सीमा ⇒ वैसी सीमा रेखा जिसे सामरिक एवं राजनैतिक कारणों से एक ही सांस्कृतिक प्रदेश को विभाजित करने के लिए सीमा का निर्माण कर दिया जाय तो उसे अध्यारोपित सीमा कहते हैं। जैसे -पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी के बीच स्थित सीमा।

(2) आकारिकी (Morphology) के आधार पर सीमा का कारिकी वर्गीकरण :-
                                      राजनीतिक विज्ञान में आकारिकी के आधार पर सीमा का विभाजन तिन आधार पर के किया गया है:-

(I) भू-आकृति के आधार/ भौगोलिक आधार पर

(II) ज्यामितीय आकार के आधार‌ पर

(III) मानवीय सिद्धांतों के आधार पर

(I) भू आकृति के आधार पर

NOTE :-

(a) 1° - महाद्वीप तथा महासागर

(b) 2° - पहाड़, पठार, मैदान

(c) 3° - अपरदन एवं निक्षेपण से निर्मित स्थलाकृति, जैसे - डेल्टा, गारा, ड्रमलिन

                        भूआकृति के आधार पर पृथ्वी के धरातल पर कई ऐसे भूआकृतियों का विकास हुआ है जो दो देशों के सीमा को विभाजित करती है। जैसे:-

(i) पर्वतीय सीमा ⇒ दो राष्ट्रों के बीच में जब पर्वत अवस्थित होता है तो वैसी स्थिति में पर्वतीय चोटियाँ सीमा रेखा का कार्य करती हैं।

उदा० - द. अमेरिका में  चिली-अर्जेण्टीना के सीमा बीच एण्डीज पर्वत

भारत-चीन के बीच हिमालय पर्वत

(ii) नदी सीमा ⇒ जब दो राष्ट्रों के बीच में नदी प्रवाहित होती है तो वैसी सीमा को नदी सीमा कहते हैं। नदी या जलशयों में सीमा निर्धारित करने का एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौता है जिसके अनुसार जब दो देशों के बीच कोई नदी या जलीय स्थलाकृति हो तो उस नदी या जलाशय के मध्यवर्ती भाग से सीमा रेखा गुजरेगी।

(ii) दलदली सीमा ⇒ कई राष्ट्रों के सीमावर्ती क्षेत्रों में दलदली क्षेत्र का विकास हुआ है। ये दलदली क्षेत्र ही दो राष्ट्रों के बीच में सीमा का कार्य करती हैं। जैसे- बेल्जियम-नीदरलैण्ड के बीच में , युक्रेन-वेलारूस के बीच में दलदली सीमा का विकास हुआ है।

(iii) वनीय सीमा ⇒ कई देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में सघन वन का विकास हुआ है। इन वनीय क्षेत्रों के मध्यवर्ती भाग से सीमा रेखा गुजरती है। जैसे- फिनलैंड और रूस के बीच सीमा वनीय सीमा से लगती है।

(iv) मरुस्थलीय सीमा ⇒ कई राष्ट्रों के सीमावर्ती क्षेत्रों में मरुस्थलीय स्लाथाकृति के विकास हुआ है। ऐसी स्थिति में मरुस्थलीय क्षेत्र के मध्यवर्ती भाग से सीमा का निर्धारण किया जाता है। जैसे मिश्र-लीबिया के बीच स्थित मरुस्थल से सीमा रेखा गुजरती है। भारत और पाकिस्तान के बीच थार मरुस्थल क्षेत्र से सीमा रेखा गुजरती है।

II. ज्यामितीय आकार पर आधारित सीमा

                     सीमा के निर्धारण में अक्षांश, देशान्तर और संदर्भ बिन्दु को मानते हुए ज्यामितीय सीमा का निर्धारण किया जाता है।

(i) अक्षांशीय सीमा ⇒ कनाडा और USA के बीच में 49° उत्तरी अक्षांश रेखा, उत्तरी कोरिया और दक्षिणी कोरिया के बीच में 38° उत्तरी अक्षांश रेखा सीमा का कार्य करती है। USA में राज्यों की सीमा अक्षांशों के आधार पर की गई है। ऐसी सीमा रेखाएँ प्राय: शान्त सीमाएँ होती है।

(ii) संदर्भ बिन्दु पर आधारित सीमा ⇒  जब दो राष्ट्रों के सीमा पर इतनी प्रतिकूल परिस्थितियाँ होती हैं कि वहाँ पर सीमा का निर्धारण करना अत्यंत दुष्कर हो जाती है ऐसी स्थिति में ऊँची-2 पर्वत की चोटियों को संदर्भ बिन्दु मानते हुए सीमा का निर्धारण किया जाता है। जैसे- गैबेन और कैमरून बीच आधारित सीमा इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। 

(III) मानवीय सिद्धांतों पर आधारित सीमा

                         धर्म, भाषा, संस्कृति, प्रजातीय गुण को ध्यान में रखते हुए भी सीमाओं का निर्धारण कई देशों में किया गया है।

(i) धर्म आधारित सीमा ⇒ 1947 ई० में भारत और पाकिस्तान के बीच में द्विराष्ट्र के सिद्धांत पर सीमा का निर्धारण किया गया। जैसे :- मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिए गए और शेष भाग भारत में रह गए।

(ii) भाषा के आधार पर सीमा ⇒ भाषाई विविधाएँ सीमा निर्धारक के प्रमुख कारण है। जैसे- यूरोपीय प्रायद्वीप में स्थित देशों के बीच भाषा के आधार पर सीमा का निर्धारण किया गया है।

(iii) संस्कृति के आधार पर सीमा ⇒ जब दो राष्ट्र की संस्कृतियाँ अलग -2 होती हैं, तो वैसी स्थिति में भी उन दोनों के बीच में संस्कृति पर आधारित सीमा विकसित होती है। जैसे- भारत और चीन के बीच स्थित सीमा सांस्कृतिक सीमा का उदा० है।

(iv) प्रजाति पर आधारित सीमा ⇒ जब दो देशों के बीच अलग-2 प्रजाति के लोग अधिवासित होते है तो वैसी परिस्थिति में विकसित होने वाली सीमा प्रजातीय सीमा कहलाती है। जैसे- (इराक और ईरान) के बीच स्थित सीमा।

निष्कर्ष

             इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि सीमा का निर्धारण हेतु कई आधार का प्रयोग किया जाता है।

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