11. Environmental or AtmosphericTemperature
11. Environmental or Atmospheric Temperature
(वायुमंडलीय तापमान)
वायुमण्डलीय कणों में मौजूद ताप की मात्रा को ही वायुमण्डलीय तापमान कहते हैं। पृथ्वी की औसत वायुमण्डलीय तापमान 15.2°C है। वायुमण्डलीय तापमान के दो प्रमुख स्रोत हैं।
(1) सैर विकिरण / सौर्यिक विकिरण (Solar Radiation)
(2) पार्थिव विकिरण (Terrestrial Radiation)
हमारा वायुमण्डल मुख्यतः पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म होता है क्योंकि सौर विकिरण से प्राप्त होने वाली ऊष्मा लघु तरंग के रूप में वायुमण्डल में प्रवेश करती है। जिसके कारण हमारा वायुमण्डल सौर विकिरण लिए पारदर्शक होता है। जबकि पार्थिव विकिरण दीर्घ तरंग के रूप में अंतरिक्ष में फैलता है। वायुमण्डल इन्हीं दीर्घ पार्थिव तरंगो को अवशोषित कर वायुमण्डल को गर्म करती है।
वायुमण्डलीय तापमान का वितरण
वायुमण्डलीय तापमान के वितरण में भारी विषमता पायी जाती है। यह विषमता लम्बत, क्षैतिज के अतिरिक्त दैनिक, मासिक एवं वार्षिक भी होते हैं। लम्बवत वायुमण्डलीय तापमान के वितरण को नीचे के मानचित्र में देखा जा सकता है:-
वायुमण्डल की दैनिक, मासिक और वार्षिक तापीय विषमता तापान्तर के रूप में मापी जाती है। जब वायुमण्डल का दैनिक तापमान सर्वाधिक दोपहर (3PM) और न्यूनतम तापमान सुबह (5AM) मापी जाती है। एक दिन के अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान के अंतर को दैनिक तापान्तर कहते है। सबसे कम दैनिक तापान्तर विषुवतीय क्षेत्रों में होता है जबकि अधिकतम तापान्तर मरुस्थलीय या महाद्वीपीय जलवायु क्षेत्रों में मापी जाती है।
मासिक एवं वार्षिक तापान्तर का आकलन दैनिक तापान्तर के आधार पर करते हैं। सम्पूर्ण पृथ्वी का वार्षिक तापान्तर 145°C है। विषुवतीय प्रदेशों में न्यूनतम मासिक एवं वार्षिक तापान्तर मापी जाती है। जबकि मरुस्थलीय तथा उच्च अक्षांशीय महाद्वीपीय क्षेत्रों में सर्वाधिक मासिक एवं वार्षिक तापान्तर Record किया जाता है। लीबिया का अल्जीरिया नामक स्थान विश्व का सबसे गर्म स्थान माना जाता है। यहाँ पिछले 130 वर्षों से लगातार 58℃-60℃ तापमान Record किया जा रहा है। जबकि विश्व का सबसे ठण्डा स्थान बर्खोयांस्क (रूस) माना जाता है। किसी एक दिन का सर्वाधिक तापमान इथियोपिया के दलाल में Record किया गया है। जबकि सबसे कम तापमान अण्टार्कटिका के बोस्टक नामक स्थान पर Record किया गया है।
वायुमण्डलीय तापमान के क्षैतिज वितरण में काफी विषमता पायी जाती है। जिसके कई कारण है:-
(i) अक्षीय प्रभाव - 5°N-5°S के बीच सूर्य की किरणों का सालों भर लम्बवत प्रभाव होता है। जिसके कारण यह उच्च तापमान का प्रदेश होता है। ज्यों-2 निम्न अक्षांश से उच्च अक्षांश की ओर जाते हैं त्यों-2 सूर्य की किरणें तिरछी होते जाती हैं, और अंततः ध्रुवीय क्षेत्रों में सालों भर तिरछी किरणों के कारण तापीय प्रभाव कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप ध्रुव हिमाच्छादित रहते हैं।
(2) ऊँचाई का प्रभाव - ज्ञात है कि क्षोभमंडल में प्रति 165मी0 की ऊँचाई पर 1°C तापमान में कमी आती है। यही कारण है कि अफ्रीका का किलीमंजारो पर्वत और इक्वेडोर का कोटोपैक्सी तथा चिम्बराजो की चोटी पर विषुवत रेखा के नजदीक होने के बावजूद तापमान बहुत कम होता है।
(3) स्थलखण्ड एवं समुद्र का विषम वितरण - वायुमण्डलीय तापमान के वितरण पर स्थल एवं समुद्र के वितरण का व्यापक प्रभाव पड़ता है। स्थलीप क्षेत्र ग्रीष्म ऋतु में तेजी से गर्म और शीत ऋतु में तेजी से ठण्डी होने की प्रवृत्ति रखती है। जबकि महासागरीप प्रदेश तुलनात्मक रूप से ग्रीष्म ऋतु में धीरे-2 गर्म और शीत ऋतु में धीरे-2 ठण्डी होते है। इसी स्थल एवं जल के ठंडा एवं गर्म होने के समयान्तराल के कारण तापमान के वितरण में विषमता पाई जाती है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण भारतीय उपमहाद्वीप है। जैसे - सूर्य के उतरायण होते ही भारतीय उपमहाद्वीप गर्म हो जाता है और गर्म होकर निम्न वायुदाब का निर्माण है जबकि सूर्य के दक्षिणायन होते ही भारतीय उपमहाद्वीप तेजी से ठण्डा होकर उच्च वायुदाब के इस में तब्दील हो जाता है।
इसे एक दूसरा उदाहरण से समझा जा सकता है। जैसे:- यूरेशिया महाद्वीप के ऊपर ग्रीष्म ऋतु में 50°F. समताप रेखा 60° उतरी अक्षांश के पास से गुजरती है लेकिन जाड़े की ऋतु में यह समताप रेखा 30° उत्तरी अक्षांश के पास से गुजरती है। इसी तरह महासागरीय क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में 50°F समताप रेखा 52° उत्तरी अक्षांश के पास से गुजरती है। जबकि स्पष्ट है कि ये तापीय वितरण में विषमता स्थल एवं जल के असमान वितरण के कारण उत्पन्न होता है।
(4) समुद्री जलधाराओं का प्रभाव :- समुद्री जलधाराएँ दो प्रकार की होती है :- (1) गर्म समुद्री जलधारा और (2) ठण्डी समुद्री जलधारा। समुद्री जलधारा का प्रभाव तटीय क्षेत्रों में अधिक पड़ता है। जैसे:- उत्तरी अटलांटिक प्रवाह के कारण प० यूरोप की जलवायु सालोभर समशीतोष्ण बना रहता है। इसके विपरीत महाद्वीपों के किनारे जहाँ-2 ठण्डी समुद्री जलधारा प्रवाहित होती है वहाँ पर वर्षा के कम होने से शुष्क या मरुस्थलीय जलवायु का विकास हुआ है। प्रशान्त महासागर में अवस्थित ग्लैपोगस द्वीप विषुवत रेखा पर अवस्थित है। हम्बोल्ट ठण्डी जलधारा के कारण यहाँ का तापमान सतत् कम रहता है।
(5) प्रचलित वायु - यदि कोई गर्म वायु किसी प्रदेश से होकर गुजरती है तो उसके आस-पास मौसमी परिस्थितियों को गर्म कर देती है जबकि ठण्डी वायु वायुमण्डलीय तापमान को गिरा देती है। पछुआ हवा निम्न असांश से उच्च अक्षांश की ओर ऊष्मा (तापमान) को ले जाती है। जबकि ध्रुवीय हवा उच्च अक्षांश से निम्न अक्षांश की ओर तापमान को घटाती है।
वायुमण्डलीय तापमान के कई अन्य निर्धारक हैं। जैसे:- बादल का प्रभाव, स्थलाकृतिक विशेषता, बढ़ते महानगर & औद्योगिकीकरण, वनीय ह्रास और वायुमण्डल में CO2 की बढ़ती हुई मात्रा।
निष्कर्ष :- इस तरह उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि वायुमण्डलीम तापमान में कई प्रकार की विषमताएँ पायी जाती हैं। इन विषमताओं के लिए उपरोक्त कई कारक जिम्मेदार हैं।
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