1. Concept of Region / प्रदेश की संकल्पना

1.  Concept of Region / प्रदेश की संकल्पना


                   'प्रदेश' शब्द का विकास मूलत: भूगोल विषय के अन्तर्गत किया गया है। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम यूनानी भूगोलवेता (हेरोड़टस) और रोमन भूगोलवेता स्ट्रेबो ने किया था। आधुनिक भूगोल में प्रदेश शब्द का प्रयोग जर्मन भूगोलवेता रीटर ने किया था। वस्तुतः रीटर ने 'प्रदेश' शब्द का उपयोग द्वैतवाद उपागम के रूप में किया था जिसके कारण भूगोल में "क्रमबद्ध बनाम प्रादेशिक भूगोल" की द्वैतवाद प्रारंभ हुआ था।

                 साधारण शब्दों में प्रदेश का तात्पर्य स्थलखण्ड के उस इकाई से है जहाँ पर अधिकतर भौगोलिक तत्वों में समरूपता पायी जाती है। उसकी भौगोलिक परिस्थितियाँ उसके आस-पास के क्षेत्रों की परिस्थितियों से भिन्न होती है।

हर्बटशन ⇒ "प्रदेश पृथ्वी की सतह का वह क्षेत्र है, जहाँ भूमि, जल, वायु, वनस्पति, जीव जन्तु तथा मानव के बीच क्षेत्रीय सह-संबंध होता है।"

डिक्सन ⇒ प्रदेश विशिष्ट आर्थिक समरूपता वाला क्षेत्र है। लेकिन इसका आधार भौतिक परिस्थितियों की समरूपता होती है। 

              अमेरिका के नियोजन समीति ने कहा है कि "प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ की परिवेश विशेष के संदर्भ में विशेष लक्षणों वाली मानवीय अभियोजना का स्वरूप विकसित हुआ है।"

               रूसी भूगोलवेता गैरीसीमोव ने संलिष्ट एकीकृत प्रदेश की संकल्पना प्रस्तुत की है जिसके अन्तर्गत आधुनिक नियोजन का कार्य और पारिस्थैतिक विकास की नीति/कार्य एक साथ की जाती है। ऐसे ही पारिस्थैतिकी पर आधारित नियोजन वाले क्षेत्र को प्रदेश कहते है।

प्रदेश की विशेषताएँ

            सामान्यतः भौगोलिक प्रदेश की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है। जैसे:-

➡सभी प्रदेशों में मिलने वाले भौगोलिक घटकों के बीच सरूपता होती है।

➡कोई भी भौगोलिक प्रदेश दूसरे भौगोलिक प्रदेश की तुलना में विशिष्ट होता है और आस-पास के क्षेत्रों से भिन्न होता है।

➡किसी भी प्रदेश के भौगोलिक घटकों के बीच सह-संबंध एवं सह-अस्तित्व पाया जाता है। 

➡किसी भी प्रदेश में पदानुक्रमिक विभाजन की विशेषताएँ होती है। 

➡एक जैसे भौगोलिक प्रदेश में समस्याएँ भी एक सामान होती है।

➡प्रदेशों का सीमांकन उद्देश्य के आधार पर किया जाता है। 

➡दो प्रदेशों के बीच में सीमा खींचना एक कठिन कार्य है अर्थात् दो प्रदेशों के मिलन क्षेत्र में संक्रमण प्रदेश मिलने की संभावना होती है।

➡प्रदेशों के सीमांकन की दो विधियाँ है :- 

(i) अनुभावाश्रित विधि (ii) सांख्यिकी विधि

➡सांख्यिकी विधि के द्वारा प्रदेशों का सीमांकन करने पर संक्रमण क्षेत्र मिलने की संभावना नहीं रहती है। 

प्रदेश के प्रकार (प्रदेशों का वर्गीकरण)

किसी भौगोलिक प्रदेशों को तीन आधारों पर बाँटा जा सकता है :-
(i) एक कारक पर आधारित प्रदेश। जैसे:- जलवायु प्रदेश, मिट्टी प्रदेश, जैविक प्रदेश, इत्यादि
(ii) बहुकारक आधारित प्रदेश। जैसे:- आर्थिक प्रदेश, सामाजिक प्रदेश
(iii) सम्पूर्ण कारकों पर आधारित प्रदेश। जैसे:- आर्थिक-सामाजिक नियोजन प्रदेश, संश्लिष्ट एकीकृत प्रदेश इत्यादि
                आधुनिक भूगोल में किसी भी प्रदेश का कार्यिक महत्व बढ़ता जा रहा है। अतः पूरे विश्व में कार्यिक महत्व पर विशेष जोर दिया जा रहा है। कार्यों के आधार पर प्रदेशों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जाता है। जैसे:- नियोजन प्रदेश, नगरीय प्रदेश, कमांड क्षेत्र प्रदेश, महानगरीय प्रदेश, औद्योगिक प्रदेश इत्यादि। 
                लिंटन तथा व्हिटलसी महोदय ने प्रदेश के विशिष्ट गुणों के आधार पर वर्गीकृत करने प्रयास किया है। लिंटन महोदय ने प्रदेशों का वर्गीकरण 7पदानुक्रम में व्हिटलसी ने 4 पदानुक्रम में वर्गीकृत किया हैं:-

लिंटन के अनुसार

  पदानुक्रम                           प्रदेश

(1)                                      महाद्वीप

(2)                                     वृहत प्रदेश

(3)                                      प्रान्त 

(4)                                      खण्ड

(5)                                     ट्रैक्ट

(6)                                     स्टो

(7)                                    बसाव स्थान 

व्हिटलसी   के अनुसार

पदानुक्रम             प्रदेश

(1)                      प्रभामंडल

(2)                        प्रान्त

(3)                       जिला

(4)                      स्थानीय

निष्कर्ष :-

          इस तरह ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि भूगोल में प्रदेशों का वर्गीकरण कई आधारों पर किया है। लेकिन उनमें से सर्वाधिक मान्यता कार्यों के आधार पर प्रदेशों के वर्गीकरण को प्राप्त है।

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