एशिया में जनसंख्या वृद्धि से कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न हुई है? उसके हल करने के उपायों का वर्णन करें। (What are the main problems which increases the population in Asia ? Discuss.)
3. एशिया में जनसंख्या वृद्धि से कौन-कौन सी समस्यायें उत्पन्न हुई है? उसके हल करने के उपायों का वर्णन करें। (What are the main problems which increases the population in Asia ? Discuss.)
उत्तर - एशिया महाद्वीप की जनसंख्या के वितरण का अध्ययन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि एशिया महाद्वीप में अधिक मानव निवास करते हैं अतएव एशिया अत्यधिक जनसंख्या (Over-population) वाला महाद्वीप है। एशिया की लगभग 70% जनसंख्या का प्रधान व्यवसाय कृषि करना है, लेकिन फिर भी एशिया महाद्वीप की 20% जनसंख्या अपनी उदर-पूर्ति के लिए अन्य महाद्वीपों से खाद्यान्न आयात करती है। एशिया में तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या एशिया के लिए एक समस्या बनती जा रही है। एशिया में प्रतिवर्ष औसतन 30% जनसंख्या बढ़ रही है। एक बात एशिया की जनसंख्या में आश्चर्यजनक है, वह यह है कि एशिया के जिन भागों में जनसंख्या की अधिकता है उन्हीं भागों में जनसंख्या तीव्रता से बढ़ रही है। जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि का प्रभाव एशिया के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन पर पड़ रहा है। जनसंख्या का दबाव भूमि पर बढ़ता जा रहा है और जनसंख्या की वृद्धि की दर के साथ निर्वाह के साधनों में वृद्धि नहीं हो रही है। एशिया महाद्वीप में इस जनसंख्या की वृद्धि से निम्नलिखित इकाईयां उत्पन्न हो गई है -
1. अकालों का पड़ना : यद्यपि भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे कासशील देशों में 76 प्रतिशत जनता कृषि कार्य करती है। इसके अलावे यहाँ की कृषि पूर्णतया मौसमी तत्वों से प्रभावित होती है। यहाँ की जनसंख्या माल्थस महोदय के अनुसार 5 वर्ष में दुगुनी हो रही है। यहाँ व्यक्तियों की जन्म-दर, मृत्यु दर की अपेक्षा अधिक है। कृषि भूमि के स्थिर रहने के कारण बढ़ती हुई जनसंखय को अतिरिक्त संसाधन प्राप्त नहीं हो पाता है फलस्वरूप यहाँ प्रति दस वर्षों के अन्तराल पर बाढ़ तथा सूखे की स्थिति आती जिससे काफी अधिक जनसंख्या प्रभावित होती है। माल्थस महोदय ने इसे प्राकृतिक प्रकोप माना है। फोर्ड फाउन्डेसन टीम ने एशिया के अविकसित देशों का अध्ययन कर पाया है कि समस्या का हल एक पहेली है।
2. रहन-सहन के स्तर का गिरना : एशियाई देशों में मनुष्यों की संतुलित भोजन के अभाव के कारण रोगों से सामना करने की शक्ति कम है। अतः वे शीघ्र ही बीमार होकर मर जाते है। इन देशों में जन्म दर 41.7 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 22.8 प्रतिशत है। ऊंची जन्म-दर होने के कारण प्राकृतिक वृद्धि दर 18.9 है। यहाँ के 90 प्रतिशत व्यक्ति भूख की सीमा के आस-पास जीवन व्यतीत करते हैं। यहाँ प्रति व्यक्ति उपलब्ध भूमि की संख्या 1.1 एकड़ है। इस प्रकार यहाँ की कृषि पर आधारित जीवन के कारण लोगों के रहन-सहन का स्तर काफी गिर गया है। अधिक जनसंख्या के विकास के कारण ही महानगरों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का अभाव है। इन सब कारणों से यहाँ के लोगों का जीवन काफी निम्न हो गया है।
3. राजनीतिक अशांति का फैलना : विभिन्न संसाधनों के अभाव के कारण यहाँ के लोगों का मानसिक विकास अधिक नहीं हो पाता है फलस्वरूप यहाँ राजनीतिक अशांति फैलती है। सामाजिक सुविधाओं का अभाव, आर्थिक सुदृढ़ता का अभाव इत्यादि तत्व यहाँ के राजनीतिक स्थितियों को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावे लोगों में सत्ता का मोह राजनीतिक अशांति फैलाते हैं।
4. कृषि पर निर्भरता : एशियाई देशो की 70 से 75 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर करती है, जैसे—भारत में 70 प्रतिशत व्यक्ति, पाकिस्तान में 75 प्रतिशत, बांग्लादेश में 60 प्रतिशत व्यक्ति कृषि पर निर्भर करते हैं जबकि ब्रिटेन में केवल 5 प्रतिशत तथा अमेरिका में केवल 7 प्रतिशत व्यक्ति ही कृषि पर निर्भर करते हैं तभी तो बेन्जामिन हिगिन्स महोदय ने यह अनुमान लगाया है कि विश्व में कुल 1.3 बिलियन लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। इनमें एक बिलियन लोग एशिया में है। जापान को छोड़कर सभी एशियाई देशों में कृषि पर निर्भरता अधिक है।
5. बेरोजगारी तथा छिपी हुई बेरोजगारी : एशियाई देशों में जनसंख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ गयी है। बौर एवं यामे के अनुसार इन देशों मे बेरोजगारी का मुख्य कारण उन्हें काम देने के लिए आवश्यक सहयोगी साधनों का अभाव है। यद्यपि बेरोजगारी का प्रधान कारण प्रभावपूर्ण माँग का अभाव है जबकि एशियाई देशों की बेरोजगारी संरचनात्मक होती है। इसका मुख्य कारण श्रम-शक्ति के प्रयोग के लिए आवश्यक पूँजी का अभाव है।
6. सामाजिक समस्याएँ : एशिया में जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप अनेक सामाजिक समस्याओं का जन्म हुआ है। इन देशों में साक्षरता का प्रतिशत कम है। भारत में 29.5 प्रतिशत पाकिस्तान में 18 प्रतिशत, बांग्लादेश में 12 प्रतिशत है, जबकि जापान में 99 प्रतिशत है। सामाजिक रूढ़ियों के कारण यहाँ की सामाजिक व्यवस्था काफी पिछड़ी है। रूढ़ि तथा रीति-रिवाज काफी महंगे हैं। स्त्रियों की स्थिति काफी कमजोर है।
7. युद्ध शक्ति एवं युद्ध की सम्भावना में वृद्धि
8. आर्थिक संकट की समस्या
9. विकास कार्यों का रूक जाना
जनसंख्या की समस्या को हल करने के उपाय
एशिया की जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं को संतान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध, विवाह की आयु में वृद्धि, सन्तति सुधार एवं स्वास्थ्य सेवायें, सामाजिक शिक्षा-प्रसार, भूमि का अधिकाधिक उपयोग, औद्योगिक विकास, खाद्य-सामग्री का आयात तथा मानव प्रवास आदि विधियों द्वारा समाधान कर सकते हैं। इन उपायों का गहनतम प्रयोग भारत, चीन, जापान आदि में किया जा रहा है। जापान में भूमि का अधिकाधिक उपयोग करने के दृष्टिकोण से गहरी खेती की जा रही है। भारत में शिक्षा-प्रसार तथा औद्योगिक विकास किया जा रहा है।
एशिया की जनसंख्या का विस्तार में अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि एशिया में बढ़ती हुई जनसंख्या से इस महाद्वीप में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई है। कुछ समस्याएँ तो इतनी गम्भीर रूप धारण कर गई है कि इनका प्रभाव देश के राजनीतिक और सामाजिक जीवन पर पड़ता है। जनसंख्या की अत्यधिक वृद्धि ने अनेक बुराइयाँ उत्पन्न कर दी है, अतः हमें इन बुराइयों को दूर करने के लिए जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को रोकना पड़ेगा। जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रयोग में लाए जा सकते हैं -
1. सन्तान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध,
(2) विवाह की आयु में वृद्धि,
(3) सन्तति सुधार एवं स्वास्थ्य सेवाएँ
(4) सामाजिक शिक्षा प्रसार,
(5) भूमि का सर्वाधिक उपयोग,
(6) औद्योगिक विकास
(7) खाद्य सामग्री का आयात
(8) मानव प्रवास।
एशिया महाद्वीप के कुछ देशों में उपर्युक्त उपाया में से कुछ उपायों को अमल में लाया जा रहा है। जनसंख्या की अधिक वृद्धि वाले देशी-भारत, चीन तथा जापान में सन्तान उत्पत्ति पर प्रतिबन्ध लगाया जा रहा है। जापान में भूमि का अधिक से अधिक उपयोग करने दृष्टिकोण से गहरी खेती की जा रही है। भारत में शिक्षा का प्रसार तथा औद्योगिक विकास किया जा रहा है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 

 
 
 
 
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