BSEB CLASS 9 Geography Solutions खण्ड (अ) अध्याय 4 जलवायु

BSEB CLASS -9 Geography Solutions
 खण्ड (अ) 
अध्याय 4. जलवायु 



1. वस्तुननिष्ठ प्रश्नोत्तर

1. जाड़े में तमिलनाडु के तटीय भागों में वर्षा का क्या कारण है ?
(क) दक्षिण-पश्चिम मॉनसून
(ख) उत्तर-पूर्वी मॉनसून
(ग) शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात
(घ) स्थानीय वायु परिसंचरण
उत्तर- (ख) उत्तर-पूर्वी मॉनसून

2. दक्षिण भारत के सन्दर्भ में कौन-सा तथ्य गलत है ?
(क) दैनिक तापांतर कम होता है ।
(ख) वार्षिक तापांतर कम होता है ।
(ग) तापांतर वर्ष भर कम रहता है ।
(घ) विषम जलवायु पायी जाती है ।
उत्तर- (ग) तापांतर वर्ष भर कम रहता है ।

3. जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है, तो उसका क्या प्रभाव होता है ?
(क) उत्तरी पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब रहता है।
(ख) उत्तरी पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब रहता है ।
(ग) उत्तरी पश्चिमी भारत में तापमान एवं वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(घ) उत्तरी पश्चिमी भारत में मॉनसून लौटने लगता है ।
उत्तर- (ख) उत्तरी पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब रहता है।

4. विश्व में सबसे अधिक वर्षा किस स्थान पर होती है?
(क) सिलचर
(ख) चेरापूँजी
(ग) मौसिमराम
(घ) गुवाहाटी
उत्तर- (ग) मौसिमराम

5. मई महीने में पश्चिम बंगाल में चलने वाली धूल भरी आंधी को क्या कहते है ?
(क) लू
(ख) व्यापारिक पवन
(ग) काल वैशाखी
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर- (ग) काल वैशाखी

6. भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आगमन कब होता है?
(क) 1 मई से
(ख) 1 जून से
(ग) 1 जुलाई से
(घ) 1 अगस्त से
उत्तर- (ख) 1 जुलाई से

7. जाड़े में सबसे ज्यादा ठंडा कहाँ पड़ता है ?
(क) गुलमर्ग
(ख) पहलगाँव
(ग) खिलनमर्ग
(घ) जम्मू
उत्तर- (ग) खिलनमर्ग

8. उत्तर -पश्चिमी भारत में शीतकालीन वर्षा का क्या कारण है ?
(क) ऊत्तर-पूर्वी मॉनसून
(ख) दक्षिण-पश्चिम मॉनसून
(ग) पश्चिमी विक्षोभ
(घ) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
उत्तर- (ग) पश्चिमी विक्षोभ

9. ग्रीष्म ऋतु का कौन स्थानीय तूफान है जो कहवा की खेती के लिए उपयोगी होती है ?
(क) आम्र वर्षा
(ख) फूलों वाली बौछार
(ग) काल वैशाखी
(घ) लू
उत्तर- (ख) फूलों वाली बौछार

2. कोष्टक में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें ।

(क) जनवरी में चेन्नई का तापमान कोलकाता से अधिक रहता है।

(ख) उत्तर भारत में वर्षा पूरब की अपेक्षा पश्चिम की ओर अधिक होती है।
 
(ग) मानसून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरब के नागरिकों ने किया था।

(घ) पश्चिम घाट पहाड़ के पश्चिमी भाग में अधिक वर्षा होती है।

(ड़) पर्वत का पवन विमुख भाग वृष्टि छाया का प्रदेश होता है ।

3. निम्नलिखित के भौगोलिक कारण बताइए -

(क) पश्चिमी राजस्थान एक मरुस्थल है ।
उत्तर - पश्चिमी राजस्थान एक मरुस्थल है जिसके मुख्य कारण है -
◆ अरावली पर्वत की दिशा पवनों के समानांतर होना, और
◆ पाकिस्तान से आने वाली गर्म एवं शुष्क हवाएँ न केवल अरब सागर की मानसूनी पवनों को ऊपर उठने से रोकती है, बल्कि नमी को भी कम कर देती है। इससे इन हवाओं की वर्षा करने की शक्ति और भी कम हो जाती है।

(ख) तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा होती है ।
उत्तर - तमिलनाडु में लौटती मानसून तथा उत्तरी पूर्वी मानसून से जाड़े में वर्षा होती है।जनवरी-फरवरी में उत्तरी पूर्वी शुष्क हवाएँ बंगाल की खाड़ी से गुजरती हुई जलवाष्प ग्रहण कर भारत के दक्षिण पूर्वी भाग में (तमिलनाडु) वर्षा करती है। इस वर्षा से वहाँ जाड़ें में चावल की कृषि होती है।

(ग) भारतीय कृषि मॉनसून के साथ जुआ है ।
उत्तर -  भारतीय मानसून कभी पहले और कभी देर से आती है। कभी अतिवृष्टि एवं कभी अनावृष्टि लाती है। फलत: फसलें प्रभावित होती है तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी आपदाएँ लाती है। यही कारण है कि भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ है।

(घ) मौसिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है ।
उत्तर - मौसिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा (1140सेमी०) होती है क्योंकि यहाँ गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ियाँ कीपनुमा आकृति में फैली है एवं समुद्र की ओर से खुली हुई है। अतः बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएँ अधिक वर्षा लाती है। 

(ड़) ऊटी में सालोभर तापमान काफी नीचे रहता है ।
उत्तर - चूँकि हम जानते है कि जैसे-जैसे समुद्र तल से धरातल की ऊँचाई बढ़ती जाती है, वायुमंडल विरल होता जाता है तथा तापमान घटता जाता है। यही कारण है कि निम्न अक्षांश में स्थित उटकमंड अर्थात ऊटी (तमिलनाडु) में तापमान काफी कम रहता है। इसीलिए यहाँ गर्मी में काफी संख्या में पर्यटक भी आते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें ।

(क) जाड़े के दिनों में भारत में कहाँ-कहाँ वर्षा होती है ?
उत्तर - जाड़े के दिनों में भारत में दो क्षेत्रों में वर्षा होती है- एक उत्तरी-पश्चिमी भाग (राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा बिहार) तथा दूसरा दक्षिण-पूर्वी तटीय भाग में (तमिलनाडु कथा केरल)।
              उत्तर-पश्चिम भारत में चक्रवातीय वर्षा होती है जो दिसंबर से मार्च तक पूर्वी भूमध्य सागर से इराक, ईरान तथा पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुँचती है। यह वर्ष मात्र 3 से 6 सेंटीमीटर ही होती है। पर रबी फसलों के लिए काफी लाभदायक होती है। जनवरी-फरवरी में उत्तरी पूर्वी शुष्क हवाएँ बंगाल की खाड़ी से गुजरती हुई जलवाष्प ग्रहण कर भारत के दक्षिण पूर्वी भाग में (तमिलनाडु) वर्षा करती है। इस वर्षा से वहाँ जाड़ें में चावल की कृषि होती है।

(ख) फेरेल का क्या नियम है ?
उत्तर - फेरेल के नियम के अनुसार उत्तरी गोलार्ध में चलने वाली पवन दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्ध में चलने वाली पवन बायीं ओर मुड़ जाती है। ऐसा विषुवत रेखा पर घूर्णन की गति तेज एवं ध्रुवों पर धीमी होने के कारण होता है।

(ग) जेट स्ट्रीम क्या है ?
उत्तर - क्षोभ मंडल की ऊपरी परतों में अर्थात क्षोभ सीमा के समीप पश्चिम से पूर्व की ओर अत्यंत तीव्र गति से चलने वाली पवन धाराओं को जेट स्ट्रीम कहा जाता है। यह पवन धाराएँ 6000 से 12000 मीटर की ऊँचाई के बीच दोनों ही गोलार्द्धों के चारों ओर वर्ष भर निरंतर प्रवाहित होती रहती है।
             भारतीय मानसून की उत्पत्ति पर उष्ण पूर्वी जेट एवं उपोष्ण जेट का प्रभाव पड़ता है।

(घ) भारतीय मॉनसून की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर - भारतीय मॉनसून की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है -
(i) मानसून वर्षा भू-आकृति द्वारा नियंत्रित होती है।
(ii) भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में मानसून का महत्वपूर्ण योगदान है।
(iii) मानसून कभी पहले और कभी देर से आती है। कभी अतिवृष्टि एवं कभी अनावृष्टि लाती है। फलत: फसलें प्रभावित होती है तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी आपदाएँ लाती है।

(ड़) लू से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - ग्रीष्म ऋतु में उत्तर व उत्तर-पश्चिमी भारत में चलने वाले प्रबल गर्म हवाओं को लू कहा जाता है। 

(च) मॉनसून का विस्फोट क्या है ?
उत्तर - जून के प्रारंभ में जब संपूर्ण उत्तरी भारत में अत्यधिक निम्न वायुदाब का क्षेत्र उपस्थित होता है। तब हिंद महासागर की ओर से दक्षिणी-पश्चिमी मानसून द्वारा अचानक तेज गरज एवं चमक के साथ होने वाली वर्षा मानसून का विस्टफोट या फटना कहलाता है।

(छ) भारत के अत्यधिक गर्म एवं ठंडे क्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर - भारत का सबसे गर्म स्थान राजस्थान स्थित गंगानगर (55℃) एवं सबसे ठंडे स्थान कश्मीर के द्रास (-45℃) है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

(क) भारत की मॉनसूनी जलवायु के क्षेत्रीय विभिन्नताओं को सोदाहरण समझाइए ।
उत्तर - भारत के विभिन्न भागों में मानसूनी वर्षा की मात्रा में काफी अंतर पाया जाता है एक ओर जहाँ मासिनराम जैसे स्थान पर 1141 सें०मी० वर्षा होती है तो वहीं दूसरी ओर थार एवं लद्दाख के मरुस्थल में वर्षा की मात्रा मात्र 25 सेंटीमीटर से भी कम होती है। अधिक वर्षा के क्षेत्रों में विभिन्नता कम एवं कम वर्षा के क्षेत्रों में विभिन्नता और अधिक पाई जाती है। 
                      
                           ऐसा पाया गया है कि 10 वर्षों में केवल दो वर्ष ही मानसून समय पर आकर समय पर समाप्त होता है। मानसूनी वर्षा भी निरंतर नहीं होती बल्कि इसमें अंतराल पाया जाता है। अगस्त के महीने में यह अंतराल काफी लंबा हो जाता है। यूं तो मानसून की अवधि 4 महीने है परंतु इन 4 महीनों में वास्तविक वर्षा के दिन 40 से 45 के बीच होते हैं। भारत का अधिकांश भाग कुल वर्ष का 80% इसी समय प्राप्त करता है। वर्षा इतनी मूसलाधार होती है कि अक्सर कहा जाता है कि मानसूनी वर्षा में बादल जल बरसाते नहीं बल्कि उड़ेलते हैं।                                               जिन भागों में मानसून सबसे पहले आता है वहाँ वह सबसे अधिक समय तक रहता है एवं जहाँ देर से पहुँचता है वहाँ से जल्दी लौट जाता है। केरल में मानसून की अवधि 5 जून से 30 नवंबर है, जबकि पंजाब के मैदान में यही अवधि 1 जुलाई से 30 सितंबर है।
                     इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत की मानसूनी जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नता अत्यधिक पाई जाती है।

(ख) भारत में कितनी ऋतुएँ में पाई जाती है ? किसी एक का भौगोलिक विवरण दीजिए ।
उत्तर - भौगोलिक दृष्टि से तथा मौसम विभाग के अनुसार भारत में मुख्यत: निम्नलिखित चार ऋतुएँ ही है -
(i) शीत ऋतु - मध्य नवंबर से मध्य मार्च तक।
(ii) ग्रीष्म ऋतु - मध्य मार्च से मध्य जून तक।
(iii) वर्षा ऋतु - मध्य जून से मध्य सितंबर तक तथा
(iv) लौटती मानसून ऋतु - मध्य सितंबर से 30 नवंबर तक।

(ii) ग्रीष्म ऋतु -  जैसे-जैसे सूर्य की किरणें उत्तर की ओर लम्बवत होते जाती है, भारत में गर्मी बढ़ती जाती है। जून तक सूर्य कर्क रेखा के ऊपर लंबवत हो जाती है जिससे भारत में प्रचंड गर्मी पड़ने लगती है। दक्षिण भारत के पठारों की ऊँचाई तथा समुद्र की निकटता के कारण तापमान कम रहता है किंतु उत्तर भारत में औसत तापमान मई में 38℃ से अधिक रहता है। दिन का तापमान तो 40℃ तक चला जाता है। हवा अत्यंत शुष्क हो जाती है। आकाश में बादलों का नामोनिशान नहीं रहता वनस्पति, तलाब, कुआँ आदी सूख जाते हैं। दक्षिणी भारत की अधिकतर नदियाँ जल की एक रेखा मात्र रह जाती है। सामान्यत: उत्तर भारत, दक्षिण भारत की अपेक्षा जाड़ें में ज्यादा ठंडा तथा गर्मी में ज्यादा गर्म रहता है। तिरुअनंतपुरम का वार्षिक तापांतर केवल 2.8℃ है।जबकि दिल्ली का तपांतर 30℃ हो जाता है।
                      भारत के दक्षिण पश्चिम तटीय भाग में हवा अरब सागर की ओर से आती है जिससे वर्षा होती है किंतु देश के अन्य भागों का मौसम शुष्क रहता है। इस समय उत्तर भारत में चलने वाली पछुआ हवा अत्यंत गर्म एवं शुष्क होती है। जिसे 'लू' कहते हैं। इसी समय बिहार एवं पश्चिम बंगाल के आस-पास धूल भरी आँधी चलती है। पश्चिम बंगाल में इसे नॉर्वेस्टर या काल बैसाखी कहा जाता है। यह प्रायः शाम के 3:00 बजे के आस-पास आती है तथा थोड़ी वर्षा भी करती है। इस वर्षा से असम के चाय की फसल को काफी लाभ मिलता है। इससे आम की फसल को काफी नुकसान पहुँचता है। अतः इन आँधियों को कर्नाटक में "आम की बौछार" भी कहा जाता है। 

(ग) भारत की जलवायु के मुख्य कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - भारत की जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारकों के लिए एक शब्द LANDFORMS का प्रयोग किया जाता है। यह जलवायु को प्रभावित करते हैं -
L -Latitude (अक्षांश)
A -Altitude (ऊँचाई)
N -Nearness From Sea-(समुद्र से निकटता)
D - Direction of wind (पवन की दिशा)
F -Forest (वन)
O -Ocean Current (सामुद्रिक जलधारा)
R - Rainfall (वर्षा)
M -Mountain(पहाड़/पर्वत)
S -Soil(मिट्टी)
                           सौर किरणों के सीधा या तिरछा होने पर सौर ऊर्जा की मात्रा में अंतर हो जाता है। सूर्य की किरणें निम्न अक्षांशों ऊपर सीधी तथा उच्च अक्षांशों पर  तिरछी पड़ती है। यही कारण है कि वविषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर तापमान घटता जाता है। जैसे-जैसे समुद्र तल से धरातल की ऊँचाई बढ़ती जाती है, वायुमंडल विरल होता जाता है तथा तापमान घटता जाता है। यही कारण है कि निम्न अक्षांश में स्थित उटकमंड अर्थात ऊटी (तमिलनाडु) में तापमान काफी कम रहता है और गर्मी में काफी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं। कहीं भी तापमान बढ़ने पर वायुदाब घटता है तथा तापमान घटने पर वायुदाब बढ़ता है। पवन उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर बहने लगते हैं। ऐसे में यदि जल भाग से पवन आते हैं तो उसमें पर्याप्त नमी होती है जिससे वर्षा होती है किंतु स्थल भाग से आने वाले पवन शुष्क होते हैं। जलवायु को समुद्र निश्चित रूप से प्रभावित करता है। जल देर से गर्म एवं देर से ठंडा होता है। अतः समुद्र तटीय भाग जाड़ें में ज्यादा ठंडी नहीं होता और गर्मी में ज्यादा गर्म भी नहीं होता। किंतु स्थल भाग जल्द गर्म एवं जल्द ठंडा हो जाता है। अतः महाद्वीप का मध्य भाग जाड़ें में अति ठंडा तथा गर्मी में अति गर्म हो जाता है। 
                              समुद्र के नजदीक वाले भूभाग में सम तथा समुद्र से दूर के भू-भाग विषम जलवायु पायी जाती है। गर्म या ठंडी सामुद्रिक जलधाराएँ जिस तरह से गुजरती है उसे प्रभावित करती है। ऊँचे पर्वत वाष्पयुक्त पवन को रोककर कराता है जिससे पौनोभिमुख भाग में मूसलाधार पर्वतीय वर्षा होती है पर पर्वत के पीछे वाला पवनोविमुख भाग वर्षा से बंचित रह जाता है जिसे वृष्टि छाया प्रदेश का कहा जाता है। वन बादल को आकर्षित करता है तथा सूर्य के प्रखर किरणों से बचाता है। मिट्टी के प्रकार भी तापमान को प्रभावित करते हैं। बलुई या कांकड़ीली मिट्टी जल्द गर्म होकर तापमान में वृद्धि करते हैं पर चिकनी या जलोढ़ मिट्टी जल्द गर्भ नहीं होता है।

(घ) जेट धाराएँ क्या है तथा भारतीय जलवायु पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर - जेट धाराएँ एक संकरी पट्टी में स्थित एवं क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई (12000 मीटर से अधिक) वाले पश्चिमी हवाएँ होती है। इनकी गति गर्मी में 110 कि०मी० प्रति घंटा एवं सर्दी में 184 कि०मी० प्रति घंटा होती है। बहुत सी अलग-अलग जीत धाराओं को पहचाना गया है। उनमें सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय एवं उपोष्ण कटिबंधीय जेट धाराएँ हैं।
                           जेट धाराएँ लगभग 27° से 30° उत्तरी अक्षांश के बीच स्थित होती है, इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है। भारत में ये जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय के दक्षिण में प्रवाहित होती है। इस पश्चिमी प्रवाह के द्वारा देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भाग में पश्चिमी चक्रवाती वीक्षोभ आते हैं। गर्मियों में सूर्य की आभासी गति के साथ ही उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धारा हिमालय के उत्तर में चली जाती है। एक पूर्वी जेट धारा जिसे उपोष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धारा कहा जाता है गर्मी के महीनों में प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर लगभग 14° उत्तरी अक्षांश में प्रवाहित होती है।

(ड़) भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - अरबी शब्द मौसिम (ऋतु) से मॉनसून शब्द की उत्पति हुई है  इस शब्द का उपयोग सर्प्रथम अरब के नाविक अरब सागर में चलने वाली उन हवाओं के लिए किया करते थे जो ऋतु के बदलते ही अपनी दिशा भी लेते थे। भारत में बोल-चाल की भाषा में मानसून का अर्थ वर्षा से है। अच्छा मानसून का अर्थ अच्छी वर्षा से है। भारत में इन हवाओं की दिशा 6 माह दक्षिण-पश्चिम और 6 माह उत्तर पूरब रहती है। अतः इन्हें क्रमशः दक्षिण पश्चिम मॉनसून तथा उत्तर पूर्व मानसून कहा जाता है। भारतीय मानसून की विशेषताएँ निम्नलिखित है -
◆ दक्षिण पश्चिम मानसून की वर्षा मौसमी है जो जून से सितंबर तक होती है।
समुद्र से दूरी बढ़ने पर वर्षा की मात्रा घटती हैं। कोलकाता में 162.5 सेमी०, पटना में 135 सेमी० इलाहाबाद में 100 सेमी० तथा दिल्ली में केवल 67 सेमी० वर्षा होती है।
◆ मानसून वर्षा भू-आकृति द्वारा नियंत्रित होती है।
◆ गर्मी में वर्षा मूसलाधार होती है जिससे पानी का बहाव बढ़ जाता है और मृदा अपरदन की गति तेज हो जाती है। कई क्षेत्र बाढ़ के चपेट में आ जाते हैं।
◆ भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था में मानसून का महत्वपूर्ण योगदान है।
◆ मानसूनी वर्षा का भारत में वितरण अससमान है जो औसत 12 सेमी० से 1180 सेमी० के बीच पाया जाता है। 
 मानसून कभी पहले और कभी देर से आती है। कभी अतिवृष्टि एवं कभी अनावृष्टि लाती है। फलत: फसलें प्रभावित होती है तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी आपदाएँ लाती है।

(च) एल नीनो एवं ला निना में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - एल नीनो - एल नीनो स्पेनिश शब्द है जिसका अर्थ शिशु(Child) है। वास्तव में एल नीनो एक गर्म जलधारा है जो दक्षिण अमेरिका के पेरू एवं इक्वाडोर देशों के प्रशांत तटीय भाग में 3 से 7 वर्ष के अंतराल पर उत्पन्न होती है। इस गर्म जलधारा के कारण जल का तापमान अचानक 5℃ से 10℃ तक बढ़ जाता है। यह जलधारा पूर्वी द्वीप समूह क्षेत्र में पहुँचती है तो वहाँ निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इसके कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून पवन का कुछ अंश इस निम्न दाब की ओर आकर्षित हो जाता है। परिणामस्वरूप उत्तरी भारत में सामान्य से कम वर्षा होती है तथा सूखे की समस्या उत्पन्न हो जाती है। 1987 का सूखा एल नीनो के कारण ही पड़ा था। ऐसा मौसम वैज्ञानिकों का कहना है दूसरी ओर जिस वर्ष यह गर्म जलधारा प्रकट नहीं होती उस वर्ष भारत में मानसून सामान्य रहता है तथा अच्छी वर्षा होती है और कभी-कभी बाढ़ उत्पन्न हो जाता है। एल नीनो के अध्ययन से मानसून का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

ला निना - इसकी उत्पत्ति भी कभी-कभी पेरू तट पर होती है। यह ठंडी जलधारा भी पूर्वी द्वीप समूह क्षेत्र में पहुँचकर वायुदाब को बढ़ा देती है। इस उच्च वायुदाब से चारों ओर आर्द्र हवाएँ चलती है। इसकी कुछ मात्रा भारत पहुँचकर दक्षिण-पश्चिम मानसून हवा में जल की मात्रा बढ़ा देती है जिससे सामान्य से अधिक वर्षा होती है। जिसके कारण अनेक भागों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके कारण आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया तथा चीन में भी भारी वर्षा होती है।


नोट :- जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारकों के लिए एक शब्द LANDFORMS का प्रयोग किया जाता है। यह जलवायु को प्रभावित करते हैं -
L -Latitude (अक्षांश)
A -Altitude (ऊँचाई)
N -Nearness From Sea-(समुद्र से निकटता)
D - Direction of wind (पवन की दिशा)
F -Forest (वन)
O -Ocean Current (सामुद्रिक जलधारा)
R - Rainfall (वर्षा)
M -Mountain(पहाड़/पर्वत)
S -Soil(मिट्टी)

6. मानचित्र कला
पूर्ण पृष्ठ पर भारत का मानचित्र बनाकर निम्नलिखित को दर्शाइए -

(क) 400 से.मी. से अधिक वर्षा का क्षेत्र ।
उत्तर -

(ख) 20 से.मी. से कम वर्षा का क्षेत्र ।
उत्तर - 

(ग) भारत में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून की दिशा ।
उत्तर - 

(घ) शीतकालीन वर्षा वाले क्षेत्र ।
उत्तर -

(ड़) चेरापूँजी, मौसिमराम, जोधपुर, मंगलोर, उंटी, नैनीताल ।
उत्तर -


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