BSEB CLASS -10 Geography Solutions खण्ड (ख) इकाई 5 आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
BSEB CLASS -10 Geography Solutions
खण्ड (ख)
इकाई-5.आपदा काल में वैकल्पिक संचार व्यवस्था
वस्तुननिष्ठ प्रश्नोत्तर
1. सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने का मुख्य कारण है :
(a) केबुल का टूट जाना
(b) संचार टावरों की दूरी
(c) टावरों की ऊँचाई में कमी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (a) केबुल का टूट जाना
2. संचार का सबसे लोकप्रिय साधन है :
(a) सार्वजनिक टेलीफोन
(b) मोबाइल
(c) वॉकी-टॉकी
(d) रेडियों
उत्तर- (b) सार्वजनिक टेलीफोन
3. सुदूर संवेदी उपग्रह (रिमोट सेंसिंग उपग्रह) का प्रयोग किसलिए होता है ?
(a) दूर संचार के लिए
(b) मौसम विज्ञान के लिए
(c) संसाधनों की खोज एवं प्रबंधन हेतु
(d) दूरदर्शन के लिए
उत्तर- (b) संसाधनों की खोज एवं प्रबंधन हेतु
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के प्रमुख कारणों को लिखिए ।
उत्तर - सामान्य संचार व्यवस्था के बाधित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित है -
◆ केबल टूट जाने,
◆ बिजली आपूर्ति का बाधित होना,
◆ संचार भवनों के ध्वस्त होने पर संचार यंत्रों का क्षतिग्रस्त हो जाना, और
◆ ट्रांसमीशन टावर का क्षतिग्रस्त हो जाना, इत्यादि।
प्रश्न 2. प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाले किसी एक वैकल्पिक संचार माध्यम की चर्चा कीजिए।
उत्तर - प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाले वैकल्पिक संचार माध्यम में रेडियो संचार, एमेच्योर अथवा हेम रेडियो तथा उपग्रह संचार है ।
रेडियो संचार - रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती है, जिसे एंटीना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता है । रेडियो तरंगे निम्न, उच्च और अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेंसी की हो सकती है । रेडियो रिसीवर को किसी खास फ्रीक्वेन्सी पर रखकर हम खास संकेत प्राप्त कर सकते है । जैसे, लंबी दूरी से सम्पर्क साधने के लिए उच्च फ्रीक्वेंसी की तरंगों तथा बहुत अधिक फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों का प्रयोग कम दूरी के लिए किया जाता है । अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेन्सी के बैंडों का प्रयोग हाथ वाला वायरलेस कहा जाता है वाकी-टॉकी जैसे बिना तार के यंत्रों का प्रयोग ऐसे समय में महत्वपूर्ण होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. प्राकृतिक आपदा में वैकल्पिक संचार माध्यमों का विवरण प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर - प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाले वैकल्पिक संचार माध्यम में रेडियो संचार, एमेच्योर अथवा हेम रेडियो तथा उपग्रह संचार है ।
रेडियो संचार - रेडियो तरंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होती है, जिसे एंटीना द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेषित किया जाता है । रेडियो तरंगे निम्न, उच्च और अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेंसी की हो सकती है। रेडियो रिसीवर को किसी खास फ्रीक्वेन्सी पर रखकर हम खास संकेत प्राप्त कर सकते है । जैसे, लंबी दूरी से सम्पर्क साधने के लिए उच्च फ्रीक्वेंसी की तरंगों तथा बहुत अधिक फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों का प्रयोग कम दूरी के लिए किया जाता है । अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेन्सी के बैंडों का प्रयोग हाथ वाला वायरलेस कहा जाता है वाकी-टॉकी जैसे बिना तार के यंत्रों का प्रयोग ऐसे समय में महत्वपूर्ण होता है।
एमेच्योर अथवा हेम रेडियो - एमेच्योर रेडियो को हेम रेडियो भी कहा जाता है। इसके लिए आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है । वास्तव में हेम रेडियो में कुछ विशेष फ्रीक्वेंसी की तरंगों का प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय दूर संचार नियमों के अनुसार होती है, जिनका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बेतार प्रयोजन एवं समन्वय स्कन्ध द्वारा किया जाता है । एमेच्योर अथवा हेम रेडियो ने बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में अन्य संचार साधनों के अवरुद्ध होने पर भी सफलतापूर्वक कार्य किया है । इस प्रकार इसे वैकल्पिक संचार माध्यमों में सबसे अधिक प्रभावशाली अनुभव किया गया है । 1999 में उड़ीसा में आए भीषण चक्रवात (Super Cyclone) और 2001 में गुजरात में भूकम्प के दौरान एमेच्यूर स्वंयसेवकों ने प्रशंसनीय सेवा प्रदान की है ।
उपग्रह संचार - इस प्रणाली में रेडियो में रिले स्टेशन तथा संचार उपग्रह अंतरिक्ष मे होता है और पृथ्वी पर घटने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा से इसे कोई नुकसान नहीं होता है इसीलिए यह विधि आपदा के समय अधिक विश्वसनीय है।
आपदा प्रबन्धन में सर्वाधिक उपयोग में लाया जानेवाला संचार साधन उपग्रह फोन है । यह फोन बहुत ही विश्वसनीय साफ आवाज में डाटा संचार की सुविधा प्रदान करता है । भारत सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों/जिलों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों को आपदाओं से निपटने के लिए पोर्टेबल उपग्रह फोन से लैस कर रही है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित पर नोट लिखिए ।
(i) हेम रेडियों - एमेच्योर रेडियो को हेम रेडियो भी कहा जाता है। इसके लिए आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता नहीं होती है । वास्तव में हेम रेडियो में कुछ विशेष फ्रीक्वेंसी की तरंगों का प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय दूर संचार नियमों के अनुसार होती है, जिनका नियंत्रण भारत में संचार मंत्रालय के अधीन बेतार प्रयोजन एवं समन्वय स्कन्ध द्वारा किया जाता है । एमेच्योर अथवा हेम रेडियो ने बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में अन्य संचार साधनों के अवरुद्ध होने पर भी सफलतापूर्वक कार्य किया है । इस प्रकार इसे वैकल्पिक संचार माध्यमों में सबसे अधिक प्रभावशाली अनुभव किया गया है । 1999 में उड़ीसा में आए भीषण चक्रवात (Super Cyclone) और 2001 में गुजरात में भूकम्प के दौरान एमेच्यूर स्वंयसेवकों ने प्रशंसनीय सेवा प्रदान की है ।
(ii) उपग्रह संचार - इस प्रणाली में रेडियो में रिले स्टेशन तथा संचार उपग्रह अंतरिक्ष मे होता है और पृथ्वी पर घटने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा से इसे कोई नुकसान नहीं होता है इसीलिए यह विधि आपदा के समय अधिक विश्वसनीय है ।
आपदा प्रबन्धन में सर्वाधिक उपयोग में लाया जानेवाला संचार साधन उपग्रह फोन है । यह फोन बहुत ही विश्वसनीय साफ आवाज में डाटा संचार की सुविधा प्रदान करता है । भारत सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों/जिलों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों को आपदाओं से निपटने के लिए पोर्टेबल उपग्रह फोन से लैस कर रही है ।
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