Earthquake Region in India/ भारत में भूकम्पीय क्षेत्र
भारत में भूकम्पीय क्षेत्र/Earthquake Region in India
1) हिमालय भूकम्पीय पेटी - यहाँ प्रायः भीषण भूकम्प आते है क्योंकि यहाँ यूरोपियन एवं इंडियन प्लेट अभिसरण के स्थिति में है। प्लेटों के अभिसरण के कारण हिमालय क्षेत्र में कई भ्रंशरेखा का निर्माण हुआ है। जैसे –
2) उत्तरी मैदानी क्षेत्र - यह हिमालय से सटा हुआ है। यहाँ पर भयंकर भूकम्प की संभावना बनी रहती है। 1934 में आया भयंकर भूकम्प का केंद्र बिन्दु दरभंगा में अवस्थित था। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में भूकम्प आने का प्रमुख कारण शिवालिक हिमालय के दक्षिण भाग में Front Fault/अग्र भ्रंश का पाया जाना है।
3) प्रायद्वीपीय भारत – प्रायद्वीपीय भारत प्रायः भूकम्प रहित क्षेत्र है क्योंकि यह प्राचीनतम चट्टानों से निर्मित दृढ़ भूखण्ड है । फिर भी यहाँ पर अपवाद स्वरूप कई भूकम्प रिकॉर्ड किये गए है । जैसे -1956 में कच्छ का भूकम्प, 1967 में कोयना का भूकम्प, 1993 में लातूर(महाराष्ट्र) का भूकम्प, 1997 में जबलपुर का भूकम्प, 26 जनवरी 2001 को आया भूज का भूकम्प प्रसिद्ध है।
प्रायद्वीपीय भारत में छोटे-छोटे कई घाटी मिलते है। जैसे- सोन के सहारे सोन भ्रंश, नर्मदा के नर्मदा भ्रंश, दामोदर के दामोदर भ्रंश, गोदावरी के सहारे गोदावरी भ्रंश, कृष्णा के सहारे कृष्णा भ्रंश, कावेरी के सहारे ग्रेट म्योर भ्रंश, महाराष्ट्र में कोयना & कुदिवाड़ी भ्रंश, और असम में मेघालय पर्वत के सहारे कोपील भ्रंश पाये जाते है।
इन्हीं भ्रंशों के सहारे अकसर भूकम्प आते रहते है।
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